Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 657
________________ CRECRUGRECRA to-1-1-1-OCALCOMMERCORN आभरणाणि, निवेइयं च रन्नो, अह भयसंभंतमणो राया सयमेव परियणसमेओ तस्स सगासोवगओ कयंजली भणिउमाढत्तो-भो भो सद्धम्मपरेकचित्त! जं निन्निमित्तमवि मोहा एवंविहं अवत्थं उवणीओ तं खमसु मज्झ, एवं च सुचिरं पसाइऊण करेणुगाखंधे समारोहिऊण य महाविभूईए पवेसिओ नपरे पालओ, जहोचियं तंबोतालाइणा संमाणिऊण पेसिओ सगिह, परितुट्टो जेट्ठभाया, कयं वद्धावणयं । अवरवासरे य पालगेण भणिय सवन्नुधम्ममाहप्पमेयं जं वसहमुत्तमेत्तेणवि तुह पसंतो जलोयरवाही, ममावि निक्कारणमेव कणयसिंहासणत्तेण परिणया सूलिगा, पहारावि जाया आभरणत्तणेणं, ता मुच्चउ गेहवासवासंगो, अंगीकीरउ एत्तो सबविरई, को हि 31 नाम मुणियामयपाणगुणो विससलिलं पाउमुच्छहेजा ?, रविणा भणियं-एवं होउ, तो ते दोवि थेराणं अंतिए पवजं गहाय समाराहियसंपुन्नसमणधम्मा सुरसिवसुहभायणं जायत्ति ॥ इय इंदभइमणिवर! वीयगुणवयमिमं विनिद्दिष्टुं । एत्तो तइयं वोचइ अणत्थदंडस्स विरइत्ति ॥१॥ सो पुण अणत्थदंडो नेअबो चउविहो अवज्झाणो । पमयायरिए हिंसप्पयाण पावोवएसोय ॥२॥ कंदप्पे कुकुइए मोहरियं संजुयाहिकरणं च । उवभोगपरीभोगाइरेगयं चेत्थ वजेइ ॥३॥ जेऽणत्थदंडविरया न हुंति तेऽणत्थगाई जंपंता । पाति धुवं मरणं लोइयकोरिंटयमुणिव ॥४॥ जो पुण एसो कोरिटंगो मुणी जह व मरणमणुपत्तो। तह संपय सीसंतं सर्व गोयम! निसामेसु ॥५॥ READHETRIERRIERSIT IES ५१ महा० C RECROGRESCA-%% Jain Education tional For Private & Personel Use Only ainelibrary.org

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