Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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है तेहिं भणियं-देव ! जइ एवं ता नगरस्स वाहिं विदेसियसालासु य पवामंडवेसु य देवमंदिरेसु य पहियसमू-P
हमीलगेसु य तवस्सिजणासमेसु य निरूवेह पुरिसे, पुच्छावेसु य तन्निवासिलोयं विवरपूरणोवायं, जइ पुण तेहितो कोइ कंपि उवायं कहेजा, राइणा भणियं-साहु जंपियं, बहुरयणा वसुंधरा, किमिह न संभविजत्ति अणुमन्निऊण तन्वयणं जहाभणियं सबट्ठाणेसु विसज्जिया पुरिसा, ते य जहाभणियविहीए समारद्धा पुच्छिउं। | इओ य सो कोरिटंगकावालिओ इओ तओ देसंतरेसु परिभमंतो मंततंतोसहीसंगहं कुणंतो धाउवायखन्नवायपमुहदबोवजणोवायं परिचिंतंतो समागओ तमेव पुरं, ठिओ देसियसालाए, सबप्पयारेहिं अपुबुत्तिकाऊण सविणयं पुच्छिओ सरोबरविवरपूरणोवायं रायपुरिसेहिं, एत्यंतरंमि तेणं नियविन्नाणावलेवनडिएण । भणियं साहंकारं कित्तियमेत्तं इमं मज्झ? ॥१॥ रायपुरिसेहिं कहियं-जइ एवं एहि ता नरिंदपुरो । पयडसु नियविन्नाणं लहसु पसिद्धिं धरावलए ॥२॥
एवं च सो वुत्तो समाणो अपणो विन्नाणेण तिहुयणपि तणं व मन्नंतो पढिओ तेहिं समं रायउलं, कमेण य पत्तो| अत्थाणमंडवं, मुणित्तिकाऊण पणमिओ राइणा, दवावियं आसणं, निसन्नो एसो, पत्थावे य पुरिसेहिं निवेइओ रनो तदब्भुवगमो, तओ हरिसवियसियच्छेण भणिओ रन्ना एसो-भो रिसिवर! करेसु पसायं, पणासेसु सरोवरस्स विवरं जेण तण्हापरिसुसियसरीरो चउचिहोवि भूयग्गामो सुहेण सबकालं जहिच्छाए जलपाणं कुणइत्ति, कोरि
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