Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 658
________________ श्रीगुणचंद महावीरच० ८प्रस्तावः कथा. ॥३१९॥ SAROGRAMMERIEOCOCOMCOLOCALLENGE | सालिसीसयंमि गामे भद्दिलो नाम माहणो, सोमदिन्ना य से भारिया, तेसिं च कोरिटंगो नाम पुत्तो अचंतवि-हूँ| अनर्थदंडे रूवो, कहं? कोरण्टकमुहबाहिविणिग्गयदीहविरलदंतग्गभग्गउट्ठउडो । करहसिसुपुच्छसत्थहविष्फुट्टमुहरोमदोप्पेच्छो ॥ १॥ मजारकक्कडच्छो अइटप्परकन्नघोरजुयलिक्खो। अचंतकविलदेहो पायडदीसंतनसजालो ॥२॥ संपजंततहाविहभोयणजायंतउदरपूरोऽवि । कयमासुववासो इव अञ्चंतं किसियसबंगो ॥३॥ इय सो पुवक्कियकम्मदोसओ गाममज्झयारम्मि । दुइंसणत्तणेणं हीलाठाणं परं जाओ ॥४॥ एयारिसे य तम्मि जोवणपत्ते जणणिजणगेहिं चिंतियं-कहं एस कलत्तभोगी भविस्सइ, जओ सवायरम वे न सग्गामवासिणो दिति एयस्स कन्नयंति । अन्नया दरयरगामवासिणो बंभणस्स बद्रकुमारी बहदविण-18 दाणपुत्वयं वरिया अणेहिं से निमित्तं, जाए य लग्गसमए कोरिटंग कयसिंगारचारुवेसं समादाय गयाइं तत्थ, तत्य पारद्धो विवाहोवलमो, रइया वेइगा, पजालिओ घयम हुसणाहो हुयासणो, पइविट्ठो वेइगामंडवंमि कोरिटंगो, तक्खणं चिय दिट्ठो तीए वडकुमारीए, तं च पलोइऊण सचमकारं भणियमणाएअहह किमेस पिसाओ इहागओ? अहव रक्खसोवावि ? । किं वा कयंतपुरिसो? नहु नहु तत्तोऽवि भीमयरो॥१॥ ॥३१९॥ सहि ! पेच्छ पेच्छ कीलेव विलइओ दिवभूसणसमूहो। एयंमि पावरूवे कहमवि नेवावहइ सोहं ॥२॥ For Private Personal Use Only in Education Le brary.org

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