Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 631
________________ सेविजंता जमणिद्वकारिणो ते धुवं किमच्छरियं । सुमरणमेत्तेणंपिवि दिति दुरंतं भवं विसया ॥ १२॥ विसयाण कए पुरिसा सुदुक्करंपिवि कुणंति ववसायं । आरोति य संसयतुलाए नियजीवियचंपि ॥१३॥ चिरकालपालियंपि हु कुलमजायं चयंति तवसगा। सवत्थ वित्थरंतं अवजसपंसुपि न गणंति ॥१४॥ वंचंति सयणवग्गं तणं व मन्नंति निययजणगंपि । धम्मोवएसदायगमवहीरंती गुरुजणंपि ॥ १५॥ पहसंति विरागिजणं विसिट्टगोडिं चयंति दूरेण । वंछंति नेव सोउं सणंकुमाराइचरियाई ॥१६॥ इय ते विसयमहाविसवामूढमणा मणागमेतपि । नेबुइमपावमाणा पावेसु बहुं पसजंति ॥ १७ ॥ बाहिरवित्तीए तहाविहेसु धम्मेसु संपवत्तावि । पंचग्गिपमुहदुकरतवसंतावियसरीरावि ॥ १८ ॥ कम्मवसेणं अप्पुण्णविसयवंछा विणस्सिउं पावा । निवडंति दुग्गईए भागवयसुहंकरमुणिध ॥ १९ ॥ इय पंचविहपमायं एवंविहदोसदूसियं नाउं। नरनाह ! तदेगमणो जिर्णिदधम्ममि उज्जमसु ॥२०॥ एवं सूरिणा उवइढे पमायप्पवंचे सुरिंददत्तकुमारो जायनिम्मलचित्तपरिणामो भणिउं पवत्तो-भयवं! को एसो । पुचकहियसुहंकरमुणी? कहं वा अपुण्णविसयवंछो सो मरिउं दुग्गइं गओत्ति साहेह ममं, सूरिणा भणियं-साहेमि ॥ __ मालवविसए विक्खायजसा चक्कपुरी नाम नयरी, तहिं च अणेगवणियजणचक्खुभूओ पभूयदवसंभारो सोमदत्तो नाम सेट्ठी, तस्स सत्तण्हं पुत्ताणं कणिट्ठिया अणेगोवजाइयसयसंपसूया देवसिरी नाम धूया, सा य अच्चंत-18 JainEducatio E lonal ForPrivate sPersonal use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704