Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 616
________________ श्रीगुणचंद महावीरच ० ८ प्रस्तावः ॥ २९८ ॥ Jain Educatio सङ्घपयत्तेणं चिय संकप्पियपाणिघायवेरमणं । सग्गापवग्गसोक्खाई कंखमाणेहिं कायचं ॥ २॥ इइ पढममणुवयं । अह अoियवयणविरईसरूवमेयं अणुवयं वीयं । भणिमो तं पुण अलिंग दुविहं थूलं च सुदुमं च ॥ १ ॥ थूलं पंचविप्पं कन्नागो भूमिनास हरणेसु । कूडगसक्खे जंमि य एसो इह नियमविसओत्ति ॥ २ ॥ कन्नागहणं दुपयाण सूर्यागं चउपयाण गोगहणं । अपयाणं दधाणं सवेसिं भूमिवयणं तु ॥ ३ ॥ इयग्गहणं पुण पाहन्ननिदंसणटुया भणियं । सुहुमं तु अलित्रयणं परिहासाईसु नेयवं ॥ ४ ॥ थूल सावेरमणे एमि अणुवए पवत्तंमि । अइयारा पंच इमे परिहरणिजा सुसगं ॥ ५ ॥ सहसा अभक्खाणं रहसा य सदारमंतभेओ य । मोसोवएसणं कूडलेहकरणं च निपि ॥ ६ ॥ एयस्स पालणाsपालणासु पयडा गुणा य दोसा य । दीसंति समक्खं चिय दितो मायरो दोन्नि ॥ ७ ॥ तेभायरो गोयम ! निसामेसु, एत्थेव भारहे वासे वडवदनयरे पभाकरो नाम राया, सवत्थ विक्खायजसो | दुवालसविहसावयधम्मपरिपालणपरायणो जइजणपज्जुवा सणबद्धलक्खो परोवयार करणाइगुणसहस्सस मलंकिओ सच्चो नाम सेट्ठी, तस्स य इहलोयमित्तपडिबद्धो धम्माणुट्ठाणविरहिओ कणिट्ठो बलदेवो नाम भाया, सो य जाणवत्तेण परविसएसु गच्छइ, अन्नया य बहुलाभो हवइति णिसामिऊण गओ चोडविसए, चोडरायावि सबसे गुणनिवहं जणेण वन्निज्जमाणं सुणिऊणं तसणाणुरागरत्तो तन्माउयं वलदेवं भणइ - सहा मम दंसगत्थं सबसेि tional For Private & Personal Use Only द्वितीयेऽणुव्रते सत्य श्रेष्ठिकथा. ॥ २९८ ॥ ainelibrary.org

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