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महामन्त्र णमोकार अर्थ, व्याख्या (पदक्रमानुसार) | 1313 1. णमो अरिहंताणं
2
ण् + अ, म् +ओ, अ+र+इ, ह + अं, त्+आ,
+ अं।
2. णमो सिद्धाणं
ण+अ, म+ओ, स+इ, द्+ध् +आ, ण् + अं।
15+16
3. णमो आइरियाणं
7+ 8 ण+अ, म+ओ, आ+ इ, र+इ, य् + आ, ण् +अं। 4. गमो उवमायाणं
ण+अ, म.+ओ, उ, व् +अ, ज, झ् + आ, य+ आ, ण+अं। 5. पमो लोए सव्व साहूणं
9+10 13+14 11+12 ण+अ, म+ओ, ल् + ओ, ए, स+अ, व्+व+अ
स+आ, ह +ऊ, ण+अ। उक्त विश्लेषण में स्वर मातृकाएंअ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः
उक्त सभी सोलह (16) स्वर णमोकार मन्त्र में संयोजन प्रक्रिया से प्राप्त होते हैं। कुछ स्वर यथा
ई, ऋ, ल, ऐ, औ, अः
सीधे प्राप्त नहीं होते हैं। इनके मूल योजक तत्त्वों के माध्यम से इन्हें प्राप्त किया जा सकता है।
यथा-इ+इ=ई। र ऋ का प्रतीक है । ल ल का प्रतीक है। अ+ इ ऐ । अ+ ओ=औ। अं+अ-अः।
पुनरवत स्वरों को पृथक् कर देने पर पूरे 16 स्वर मिलते हैं।