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11422 महामन्त्र णमोकार : एक वैज्ञानिक अन्वेषण इससे समस्त देव सम्पदा वशीभूत हो जाती है। मुक्तिबधू वश में हो जाती है। चतुर्गति के सभी कष्टों को भस्म करने वाला यह मन्त्र है। मोह का स्तम्भक और विषयासक्ति को समाप्त करने वाला है। आत्मविश्वास को प्रबलता देने वाला तथा सभी स्थितियों में जीव मात्र का परम मित्र है। 'अहं' यह अक्षर युगल साक्षात् ब्रह्म है और परमेष्ठी का वाचक है। सिद्धियों की माला का सद्बीज है। मैं इसको मन, वचन और काय की समग्रता से प्रणाम करता हूं। हे जिनेश्वर रूप महामन्त्र मुझे आपके अतिरिक्त कोई अन्य उबारने वाला नहीं है । आप ही मेरे परम रक्षक हैं। इसलिए पूर्ण करुणा भाव से हे देव ! मेरी रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए।
महामन्त्र का प्रभाव
हम महामन्त्र णमोकार के माहात्म्य को अथवा उसके उपकार का प्रभाव के रूप में समझ सकते हैं। अनेक शास्त्रभ्य प्रसंगों, कथाओं और उक्तियों द्वारा इस माहात्म्य का लोकोत्तर प्रभाव बताया गया है। अनेकानेक भक्तों ने अपने-अपने अनुभवों को भी इस मन्त्र के प्रभाव के रूप में प्रकट किया है।
यहां कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को उद्धत करके इस महामन्त्र के प्रभाव को स्पष्ट करना अधिक व्यावहारिक होगा!
इस मन्त्र के चमत्कारों और प्रभावों को तीर्थंकरों एवं मुनियों के जीवन में भी घटित होते देखा गया है। भगवान पार्श्वनाथ ने इस मन्त्र की आराधना से समस्त उपसर्गों को हंसकर सहा। कमठ तपस्वी जो पंचाग्नि तर करता था, उसकी धूनी में एक अधजला नाग था, उसको पार्श्वनाथ ने णमोकार मन्त्र सुनाकर नागकुमार देव पद प्राप्त कराया।
· भगवान महावीर के जीवन में भी नयसार भव में एवं नौका-प्रसंग में णमोकार मन्त्र का साहाख्य रहा।
अंजन चोर, राजा श्रेणिक, राजा श्रीपाल, सेठ सुदर्शन, जीवन्धर स्वामी एवं श्वान आदि के प्रसंग सुविदित ही हैं। अर्जन माली जैसे हत्यारे और मुग्दल सेठ की कथा भी प्रसिद्ध है ही। जैन धर्म की दिगम्बर-श्वेताम्बर सभी शाखाओं में अनेक कथाएं महामन्त्र के