Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

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Page 206
________________ ई. सूर्य चिकित्सा उ. रश्मि चिकित्सा प्रश्न ६९. पंच परमेष्ठी में द्रव्य लक्षण कैसे घटित होता है? उत्तर : १. अरिहन्त, आचार्य और उपाध्याय परमेष्ठी क्रमशः दिव्य ध्वनि, अनुशासन और विद्यादान का उत्पादन करते २. उत्तर: साधु परमेष्ठी कर्मनाश के रूप में व्यय प्रक्रिया पूरी करते हैं। ३. सिद्ध परमेष्ठी मोक्ष के माध्यम से आत्म. की ध्रुवता स्थापित करते हैं। प्रश्न ७०. महामन्त्र प्राकृत भाषा में हैं। इसमें कितने स्वर और कितने व्यंजन होते हैं। क्या इस मन्त्र में उन सब का प्रयोग हुआ है? प्राकृत भाषा के व्याकरण के अनुसार चारों मूल स्वर (अ,इ,उ,ए) तथा बारह व्यंजन - (ज,झ,ण, त,द,ध,य,र,ल,व,स,ह) इस महामन्त्र में सम्मिलित हैं । संस्कृत की सम्पूर्ण वर्णमाला भी पूर्णतया इस मन्त्र में (प्रतिनिधि रूप से) गर्मित है । अतः वर्णमाला के स्तर पर भी यह मन्त्र द्रव्यश्रुत के रूप में समस्त जिनवाणी का प्रतिनिधित्व करता है । इसका पाठ समस्त मन्त्रित जिनवाणी का पाठ है । पूर्ण प्राकृत वर्णमाला में ६४ वर्ण हैं । संस्कृत में ६३ । प्रश्न ७१ सामान्य अरिहन्त केवली और तीर्थंकर अरिहन्त केवली में समानता असमानता किन किन विषयों में है? मोक्ष में सभी केवली समान हैं। सभी अष्ट कर्मों का नाश कर अष्टगुण सम्पन्न है। उत्तर: 22058

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