Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

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Page 222
________________ प्रश्न ९६. उत्तर : प्रश्न ९७ उत्तर : मन्त्र शास्त्र या मन्त्र विद्या के प्रमुख कितने सम्प्रदाय भारत में प्रचलित हैं? सम्पूर्ण मन्त्रों की संख्या सात करोड़ मानी गयी है । मन्त्र शास्त्रों में तीन मन्त्र मार्गों का उल्लेख है - दक्षिण मार्ग, वाम मार्ग और मिश्र मार्ग । दक्षिण मार्ग - सात्त्विक देवता की सात्त्विक उद्देश्य से की गई उपासना दक्षिण या सात्विक उपासना कहलाती है । वाम मार्ग इसमें पंच मकार (मदिरा, मांस, मैथुल, मत्स्य, मुद्रा - इनके आधार पर भैरवी चक्रों की योजना होती है। मिश्र मार्ग - इसमें परोक्ष रूप से पंच मकार तथा राक्षस मार्ग की उपासना पद्धति को स्वीकार किया गया है । वास्तव में यह मार्ग व्यर्थ ही रहा । मार्ग तो दो ही रहे । I मन्त्र शास्त्र में प्रमुख तीन सम्प्रदाय हैं केरल, कश्मीर, गौण । वैदिक परम्परा केरल सम्प्रदाय के आधार पर चली । बौद्धों में गौड़ सम्प्रदाय मान्य रहा । जैनों का अपना स्वतन्त्र मन्त्र शास्त्र है, परन्तु कश्मीर परम्परा का जैनों से पर्याप्त साम्य रहा । मातृका का क्या अर्थ है? सेहत के वर्ण सामान्यतया मातृका कहलाते हैं । वर्ण, शक्ति के कारण मन्त्रों की मातृका शक्ति कहलाते हैं । वर्ण रूप से भाव में परिणत हो कर ही मातृका शक्ति बनता है । यह बात पवित्र चेतना के व्यक्ति में घटित होती है । उत्तम जल की सुरक्षा के लिए उत्तम पात्र भी उतना ही आवश्यक है । अतः वर्ण और भाव संयुक्त होकर ही शक्ति बनते हैं । समस्त ज्ञान विज्ञान का मूल ध्वनि, नादमय मातृका शक्ति है । मातृका (वर्णमातृका) की उपादेयता में हमारे स्वस्थ मुख विवर ( ध्वनि यन्त्र) का बहुत महत्व है । 221

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