Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

Previous | Next

Page 228
________________ घटना नं. लेकिन प्यास अब बुझ गयी थी और परिक्रमा में उत्साह आने लगा था । (सिंघई गरीब दास जैन ( ६४ वर्ष ) कटनी म. प्र. ) भक्त) के २ . यह एक मुसलमान (णमोकार महामन्त्र जीवन में घटित चमत्कार है । - 用 'जैन दर्शन' पत्रिका के वर्ष ३, अंक ५-६ जखौरा (ग्राम) जिल्ला झाँसी, उत्तर प्रदेश निवासी अब्दुल रज्जाक (मुसलमान) ने महामन्त्र की महिमा का स्वानुभव प्रकाशित कराया है । इसका उल्लेखन डा. नेमीचन्द जी ज्योतिषाचार्य ने अपनी पुस्तक 'मंगल मन्त्र णमोकार - एक अनुचिन्तन' में भी किया है । वह स्वानुभव अक्षरश: इस प्रकार है - "मैं ज्यादातर देखता या सुनता हूँ कि हमारे जैन भाई धर्म की ओर ध्यान नहीं देते । जो थोड़ा बहुत कहने-सुनने को देते भी हैं तो वे सामायिक और णमोकार मन्त्र के प्रकाश से अनभिज्ञ हैं । यानी अभी तक वे इसके महत्व को समझते ही नहीं हैं । रात-दिन स्वाध्याय करते हुए भी अन्धकार की ओर बढ़ते जा रहे हैं । अगर उनको कहा जाए कि भाई, सामायिक और णमोकार मन्त्र आत्मा में शान्ति पैदा करनेवाले और आये हुए दुःखों को टालनेवाले हैं । तो वे इस तरह से जवाब देते हैं कि यह मन्त्र तो हमारे छोटे छोटे बच्चे भी जानते हैं । इसको आप हमें क्या बता रहे हैं ? लेकिन मुझे अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है कि उन्होंने सिर्फ दिखाने की गरज से बस मन्त्र को रट लिया है। उस पर उनका दृढ़ विश्वास नहीं है और न ही वे उसके महत्व को समझे हैं । मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि इस मन्त्र पर श्रद्धा रखनेवाला हर मुसीबत से बच सकता है क्यों कि मेरे ऊपर से ये बातें बीत चुकी हैं। ゆ 2278

Loading...

Page Navigation
1 ... 226 227 228 229 230 231 232 233 234