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लिया गया है । अत: इसे असंख्य भक्त बीजाक्षरी (दैवी शक्ति
युक्त) मन्त्र मानकर इसका श्रद्धाभाव से जाप करते हैं । प्रश्न २५ ओम् शब्द का अर्थ और माहात्म्य बताइए। उत्तर -अर्थ - ओम् आत्मशक्ति जागरण का महामन्त्र है । इससे मूलाधार
जागरण के माध्यम से भक्त में अपार तेज का उदय होता है । वर्ण आकार महिमा राशि ग्रह तत्त्व स्थान लाल कुंडली सिद्धि सिंह सूर्य भूमि · अर्थोष्ठ
" ॥ ॥ कुंभ शनि जल ओष्ठ निष्कर्ष - लाल (सुर्ख) तेजो लेश्या (कुंडली जागरण) और कुंडली आकार
अपार धैर्य और शक्ति को प्रकट करते हैं । भूमि तत्व संसार और प्रवाह को तथा आकाश तत्त्व ऊर्ध्व गामिता और भाव विस्तार को ध्वनित करता है । स्थान (उच्चारण) में ओष्ठ बन्द होकर सांसारिक वृत्तियों का निषेध कर ऊर्ध्व चैतन्य को जगाते हैं । अतः ओम मूलाधार जागरण का महामन्त्र है। . जीवात्मा का परमात्मा से साक्षात्कार भूतत्त्व का आकाश तत्त्व में विलय
सांसारिकता का आध्यात्मिक जिजीविषा में विलय प्रश्न २६. यन्त्र, तन्त्र और मन्त्र में क्या अन्तर है? उत्तर: १. यन्त्र मुख विवर है ।
तन्त्र उच्चारण प्रक्रिया और उच्चारित वाणी है । इनमें निहित अर्थ शक्ति मन्त्र है ।। मन्त्र वास्तव में उच्चारित शब्द समूह मात्र नहीं है । मन्त्र में निहित अत्यंत अध्यात्म शक्ति, परमेष्ठी शक्ति एवं दैवी शक्ति ही मन्त्र है।
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