Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

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Page 188
________________ प्रश्न -३१ इस मन्त्र के नियमित जाप से क्या सांसारिक कष्टों एवं कर्मबन्धन को भी परास्त किया जा सकता है? उत्तर : हाँ, इस महामन्त्र के नियमित ध्यानपूर्ण जाप से भक्तं सांसारिक । कष्टों को अपनी आत्मिक शक्ति उन्नयन के कारण न के बराबर कर सकता है। कर्मबन्धन सिद्धान्ततः फल देकर ही जाता है, कर्मों को भोगना ही पड़ता है । फर्क इतना है कि मन्त्र द्वारा अर्जित सहनशक्ति, विवेक और ऊर्जा के प्रभाव से शेर जैसे कर्म श्रृगाल बन जाते हैं । अगाध सागर बस घुटनों तक पानी वाला रह जाता है। वर्तमान में मानव सन्तुलित विवेकमय जीवन जी सकता है । अपनी सहज बौद्धकता और संयम के कारण अकालमृत्यु से बच सकता है । उसका भविष्य तो उज्जवल होगा ही। . . . प्रश्न ३२ यह मन्त्र समस्त जिनवाणी का प्रतिनिधित्व करता है - सार है - कैसे? समस्त द्वादशाङ्ग जिनवाणी पंच परमेष्ठियों के गुणों और कार्यों का अवतरण है । मन्त्र में षङ् द्रव्य, साततत्व, रत्नत्रय एवं स्याद्वाद आदि गर्भित है। .. प्रश्न ३३ महामन्त्र णमोकार पर रचित एवं प्रकाशित किन्हीं पाँच स्तरीय पुस्तकों के नाम और लेखक बताओ। १. मंगल मन्त्र णमोकार - डॉ. नेमीचन्द ज्योतिषाचार्य २. नमस्कार मीमांसा - प.पू. भद्रंकर विजय जी ३. णमोकार महामंत्र - पं. रतन चन्द भारिल्ल ४. सर्वधर्मसार - पू. कान्ति मुख जी . ५. महामंत्र णमौंकार - डॉ. रवीन्द्र कुमार जैन उत्तर उत्तर 1878

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