Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

Previous | Next

Page 187
________________ प्रश्न २७. यह महामन्त्र किस भाषा में है? .. उत्तर यह महामन्त्र शौरसेनी प्राकृत भाषा में है। प्रश्न २८. इसका पाठ या जाप करने का उत्तम समय कौन-सा उत्तर : ब्राह्ममुहूर्त - अर्थात् प्रात:काल साढ़े चार बजे से छः बजे के समय में कभी भी पाठ हो सकता है । ब्राह्म मुहूर्त मन, वाणी और कर्म की एकाग्रता के लिए उत्तम समय है । भक्त में पूरी ताज़गी इसी . समय रहती है। प्रश्न २९. इस मन्त्र का प्रतिदिन कितनी बार बार पाठ या जाप . करना चाहिए? किस आसन में? . . उत्तर - प्रतिदिन संभव हो तो सूर्योदय हो तो सूर्योदय के पूर्व १०८ बार अर्थात् एक माला जपनी चाहिए । इससे आत्मिक निर्मलता बढ़ती है और सांसारिक कष्टों का निवारण होता है । केवल सोते समय और उठते समय पूरी निष्ठा के साथ नौ बार महामन्त्र का पाठ भी परम लाभकारी है। आसन . पद्मासन अथवा खड्गासन उचित है । वैसे - "अपवित्रः पवित्रोवा सुस्थितो दुस्थितोऽपि वा ।" ध्यायेत् पंचनमस्कारं सर्व पापैः प्रमुच्यते ॥" भक्त पवित्र हो, अपवित्र हो, अच्छी तरह स्थित हो या न भी हो, . परन्तु यदि वह शुद्ध ध्यान पूर्वक पाठ करता है तो वह सब पापों से मुक्त हो जाता है । मानसिक पवित्रता ही सब कुछ है।। प्रश्न ३० बीमारी में. शारीरिक अपवित्रता में और संकटकाल में भी क्या पाठ किया जा सकता है। हाँ किया जा सकता है । यह महामंत्र अलौकिक है - इसमें भक्त का पवित्र ध्यान के अभाव में उम्र भर का जाप भी लाभकार नहीं होगा । मन्त्र केवल भक्त का सरल हृदय और निष्कपट रूप चाहता है, अन्य शरीर वस्त्रादि भी शुद्ध हो तो और भी श्रेयस्कर है । उत्तर: 2 186

Loading...

Page Navigation
1 ... 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234