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लगाया । अन्ततः श्रीपाल को उसका राज्य प्राप्त हो गया । मैना सुन्दरी की धर्मनिष्ठा और महामन्त्र निष्ठा का जय जयकार हुआ । प्रश्न ५० शूली सिंहासन में किसके लिए बदली थी?
उत्तर :
सुमद्रा सती और सुदर्शन सेठ के लिए शूली सिंहासन में बदली थी । ये दोनों महामंत्र के अड़िग विश्वासी थे । किसी भी प्रलोभन से इन्हें विचलित नहीं किया जा सका ।
प्रश्न ५१ अर्जुनमाली के जीवन में महामन्त्र के प्रभाव से क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर :
अर्जुनमाली अपनी राक्षसीवृत्ति को त्यागकर महामन्त्र के प्रभाव से मुनि बना और आन्ततः मोक्षप्राप्ति की ।
स्पष्टीकरण - मगध देश की राजधानी राजगृही में अपनी पत्नी बन्धुमती सहित अर्जुन नामक एक माली रहता था। नगर के बाहर एक बगीचे में यक्ष मन्दिर था । अर्जुन अपनी पत्नी सहित इस बगीचे के फूल तोड़ता, यक्ष पूजा करता और फिर उन्हें बाज़ार में बेच कर जीविका चलाता था ।
एक दिन अर्जुन यक्ष की पूजा में लीन था और उसकी पत्नी बाहर पुष्प बीन रही थी । सहसा नगर के छह गुंडे वहाँ आ गए । बन्धुमती की सुन्दरता और जवानी पर वे मुग्ध हो गए । बस एकान्त देखकर उसके साथ बलात्कार करने पर तुल गए । अर्जुन को यक्ष की मूर्ति से बाँध दिया। गुंडे बन्धुमती का शीलभंग करने
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लगे । अर्जुन इस घोर असत्य अत्याचार से तिलमिला उठा । उसने यक्ष से कहा, “हे यक्ष ! मैंने तुम्हारी जीवन भर सेवा - पूजा यही फल पाने के लिए की है क्या ? मेरी सहायता करो, मुझे शक्ति दो, या फिर ध्वस्त होने के लिए तैयार हो जा ।"
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यक्ष का चैतन्य प्रज्वलिता हो उठा - उसने एक शक्ति के रूप में अर्जुन माली के शरीर में प्रवेश किया । बस अर्जुन में अपार शक्ति
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