Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

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Page 199
________________ प्रश्न ५८ उत्तर: ४. . णमो - आत्मिक गुणों के प्रति (Faith and Devotion) सर्वोच्च आत्मिक गुणों के प्रति नमन भाव ही सर्वश्रेष्ठ नमन - अर्थ है। इस मन्त्र के ध्वनिमूलक उच्चारण की प्रक्रिया और लाभ समझाइए। मन्त्रपाठ :- नेत्र के माध्यम से - रंगों के आश्रय से (प्रत्येक परमेष्ठी के प्रतीक रंग पर दृष्टि रखकर) मन्त्रपाठ - कर्ण के माध्यम से ध्वनिपरक उच्चारण आत्मशुद्धि और शरीर शुद्धि हेतु मन्त्रपाठ - योग ध्यान द्वारा मन के माध्यम से ध्वनिमूलक उच्चारण व्यक्तिगत एवं सामूहिक स्तर पर किया जाता है । उच्चारण २-२-१ के क्रम से तीन श्वासों में होना चाहिए। शरीर की बाह्य निर्मलता, स्फूर्ति और भीतरी निरोगता के लिए यह अचूक है। शारीरिक माध्यम से - चक्र परिक्रमा क्रम से मूलाधार ऊर्जा जागृत होकर आत्मिक अनाहत नाद में परिवर्तित होती है - यहीं से प्रकट ध्वनि मन्त्र बनती है। पवित्र आत्मा और निष्कलंक चरित्र वाले महात्मागाँधी के मुख से ९ आगस्त १९४२ को एक मन्त्र राष्ट्र के नाम स्फोटित हुआ - "करो या मरो' बस समस्त राष्ट्र स्वतन्त्रता आन्दोलन में पूर्ण समर्पण भाव से कूद पड़ा । १५ अगस्त १९४७ को भारत स्वतन्त्र हुआ । श्रमण महावीर ने धर्म के नाम पर नर हत्या और पशुबलि का नारकीय दृश्य देखा और मानवता को मन्त्र दिया "अहिंसा परमो धर्म:" आज यह मन्त्र विश्वव्यापी है । आध्यात्मिक शक्ति लोकोत्तर होती है। 1988

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