Book Title: Mahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain
Publisher: Megh Prakashan

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Page 203
________________ तर्क बुद्धिपरक और विश्लेषणात्मक होता है । तब उसमें संश्लेषण और स्थिरता नहीं आ पाती । किन्तु जब तर्क संश्लेषण और अनुभव के साँचे में ढलता है तो वह सप्राण और विश्वसनीय तथा सार्वजनीय हो जाता है। इसी प्रकार व्यक्तिगत अनुभव आंशिक हो और हम कल्पना और अतिरंजना से उसे बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करें तो वह भी सत्य से दूर होगा । दूसरे व्यक्ति का अनुभव भिन्न भी हो सकता है । अतः अनुभव का साधारणीकरण अनिवार्य है । तथ्य से सत्य तक की यात्रा लम्बी होती है । अतः ज्ञान और अनुभव एक होकर सत्य को स्थायी रूप से पा सकते हैं। . तथ्य वस्तुपरक, स्थूल एवं भ्रमात्मक होता है । उसके माध्यम से तटस्थ भाव से सत्य (भावात्मक - इच्छापरक) तक पहुँचना होता है । किसी घटना के पीछे इच्छा की पक्की तलाश करना बहुत जरूरी है । मन्त्र का यही रहस्य है । संकल्प और सत्संकल्प आविष्कारक भी होता है। णमो शब्द की पाँच तत्त्वों के आधार पर व्याख्या कीजिए। तत्त्व ण् - आकाश तत्व ऊर्ध्वगामिता, ऊर्जा जागरण अ - वायु तत्व सिद्धिदाता गतिदाता म् - आकाश तत्त्व अागामिता - ऊर्जा जागरण ओ - जल तत्त्व बीजों का मूल - फल प्रद णमों महामन्त्र का मूल बीज है । तत्त्वों के आधार इसमें जलतत्त्व वायु और आकाश तत्त्वों के योग से सम्पूर्ण आध्यात्मिक ऊर्जा में परिणत हो जाता है । केवल णमो का पाठ भी श्रेयस्कर है। प्रश्न ६५ उत्तर: गुणं निष्कर्ष - 1202

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