Book Title: Launkagacchha aur Sthanakvasi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijayji

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Page 12
________________ लौंकाँगन्छ की पहावली (१) - सिलोके में केशवजी कहते हैं - अन्तिम तीर्थङ्कर श्री बर्द्धमान के गुणवान् ११ गणधर हुए इसलिए उनकी पाट-परम्परा कहते हैं - १ महावीर के पंचम गणधर सुधर्मास्वामी हुए। २ सुधर्मा के शिष्य गुणवान् जम्बू हुए। ३ जम्बू के प्रभव, ४ प्रभव के शय्यम्भव, ५ यशोभद्र, ६ संभूति, ७ बाहुस्वामी, ८ स्थूलभद्र, ६ महागिरि, १० सुहस्ती, ११ बहुल और १२ बल्लिस्सह स्वाति, १३ कालिकसूरि, १४ स्कन्दिलस्वामो, १५ मार्यसमुद्र, १६ श्रीमंगू, १७ श्रीधर्म, १८ भद्रगुप्त, १६ वज्रस्वामी, २० सिंहगिरि, २१ वज्रसेन, २२ चन्द्र, २३ समन्तभद्र, २४ मल्लवादी, २५ वृद्धवादी; २६ सिद्धसेन, २७ वादीदेव, २८ हेमसूरि, २६ जगच्चन्द्रसूरि, ३० विजयचन्द्र, ३१ खेमकीतिजी, ३२ हेमजीस्वामी, ३३ यशोभद्र, ३४ रत्नाकर, ३५ रत्नप्रग, ३६ मुनिशेखर, ३७ धर्मदेव, ३८ ज्ञानचन्द्रसूरि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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