Book Title: Launkagacchha aur Sthanakvasi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijayji

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Page 16
________________ १४ पट्टावली-पराग गुणकोतिनां करता संघ ने गर्भ (परम) कल्याणनी कोड हुई ॥श्रीरस्तु॥ तत्प? श्री ६ श्री जगजीवनजी, तत्पष्टुं श्री मेघराजजी, तत्पट्टे युगप्रधान जयवंता श्री ६ श्री सोमचंदजी, तत्पट्टे श्री ६ श्री हर्षचन्द्रजी, तत्पट्टे श्री ६ युगप्रवर्तक जयचन्द्रजी, तत् श्री युगप्रवर श्री ६ कल्याणचन्द्र पूरिसर छ ।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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