Book Title: Launkagacchha aur Sthanakvasi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijayji

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Page 65
________________ पुप्फभिक्खू की पहावली (९) २७ देवद्धिगणि क्षमाश्रमण २८ वीरभद् २६ शिवभद्र ३० जसवीर ३१ वीरसेन ३२ रिणज्जामय ३३ जससेन ३४ हर्षसेन ३५ जयसेन ३६ जयपाल गरिण ३७ देवर्षि ३८ भीमसेन ३६ कर्मसिंह ४० राजषि ४१ देवसेन ४२ शंकरसेन ४३ लक्ष्मीलाभ ४४ रामर्षि ४५ पद्माचार्य ४६ हरिशर्मा ४७ कुशलप्रभ ४८ उन्मनाचार्य ४६ जयसेन ५० विजयपि ५१ देवचन्द्र ५२ सूरसेन ५३ महासिंह ५४ महासेन ५५ जयराज ५६ गजसेन ५७ मित्रसेन ५८ विजयसिंह ५६ शिवराज ६० लालाचार्य ६१ ज्ञानाचार्य ६२ भारणाचार्य ६३ रूपाचार्य ६४ जीवपि ६५ तेजराज ६६ हरजी ६७ जीवराज ६८ धनजी ६६ विस्सरणायरिमो ७० मनजी ७१ नाथूरामाचार्य ७२ लक्ष्मीचन्द्र ७३ छितरमल ७४ राजाराम ७५ उत्तमचन्द ७६ रामलाल ७७ फकीरचन्द ७८ पुष्पभिक्षुः ७६ सुमित्र ८० जिनचन्द्र उपयुक्त ८० नामों में से देवद्धिगणि पर्यन्त के २७ नाम ऐतिहासिक हैं। इनमें भी कतिपय नाम प्रस्त-व्यस्त और अशुद्ध बना दिये हैं । २७ में से ११वां, १४वां, २०वां, २१वां, २५वां मोर २६ वां, ये सात नाम वास्तव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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