Book Title: Launkagacchha aur Sthanakvasi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijayji

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Page 19
________________ बालापुर की गादी की लौंका पट्टावली (8) ५. ऋषि जीवाजी ε., १४. "" १०. ११. १२. केशवजी स्व० सं० १६८६ में । १३. शिवजी इनके शिष्य धर्मसिंह के शिष्य धर्मदासजी ने १५. १६. 17 "" ;; "" #3 ?? 37 सुखमलजी - भागचन्द्रजी १७. बालचंदजी १८. १६. २०. २१. २२. 11 11 11 कुंवरजी - 22 श्रीमलजी रत्नसिंहजी 17 - संघराजजी - इनको बालापुर के श्रावकों ने श्रीपूज्य का पद दिया, तब से इनकी गादी बालापुर में स्थापित हुई मोर "गुजराती लोकापक्ष का छोटा पक्ष '' इस नाम से वह प्रसिद्ध हुई । इनके शिष्य ऋषि मेवजी अहमदाबाद की गादी ऊपर थे, जिन्होंने संवेगो-मागं ग्रहण किया था । Jain Education International "दुष्टिय।" मत चलाया । स्व० सं० १७२५ में । आनन्द ऋषि ने अपने शिष्य ऋषितिलक को श्रीपूज्य बनाकर नया गच्छ स्थापित किया जो "प्रदारिया" के नाम से प्रसिद्ध हुम्रा । स्वर्ग सं० १७६३ में । माणिक्यचंदजी मूलचंदजी - जगराचंदजी स्वर्ग सं० १८७६ रतनचंदजो नृपचंदजी - (मुनि मणिलाल -कृत "प्राचीन संक्षिप्त इतिहास " ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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