Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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क्यामखां रासा - भूमिका राज करत रससों भयौं, ज्यो जगतिपति इन्द्र । अलिफखांन नन्दन नवल, दौलतिखान नरिंद ॥११॥ दान क्रिपान सुजान पन, सकल कला सम्पूर । रवि पिरंचि ऐसौ रच्यो, वचन रचन सति सूर ॥१२॥ ता नन्दन बन्दन जगत, गुन छंदनह निधान । कवि पंछी छाया रहे, तरवर ताहरखान ॥१३॥ अजा सिंघ नित एकठा, धर्म रीति अानन्द । सकल लोक छाया रहे, विनैराज हरिचन्द ॥१४॥ तहाँ सुभग शोभा सरस, यसै बरन छत्तीस । तहाँ भीखजनु जानिकै, इह मनि भई जगीस ॥१५॥
(उपर्युक्त ग्रन्थ के पृ० ६, पद्य १० से १५) ३. उपर्युक्त भीखजनकी लिखित कवि जान रचित रसकोष व आनन्द रचित कोकसारकी सं. १६४८-८५ में लिखित प्रति, अनूप संस्कृत लाइब्रेरीमें है। भीखजन रचित बावनी छप चुकी है।
४. सुन्दर ग्रन्थावलीमें राघवदासजीके भक्तमालसे संत कवि सुन्दरदासजीके नवाबके चमस्कार दिखानेका उल्लेख वाला पद्य उद्धृत है । पद्यमें यद्यपि नवाबका नाम नहीं है पर सुन्दरदासजीके समय पर विचार करने पर दौलतखां होना सम्भव है । पद्य इस प्रकार है -
"आयो है नवाब फतहपुरमें लग्यौ है पाई, अजमति देहु तुम गुसइयाँ रिझायौ है। पलौ जो दुलीचाको उठाइ करि देख्यौ तव, फतहपुर यसै नीचे प्रगट दिखायौ है ।। येक नीचे सर येक नीचे लसकर बड, येक नीचे गैर बन देखि भय आयौ है । राधा धारे राखि लीये दयते नबाय केर, सुन्दर ग्यानीको कोई पार नहीं पायौ है ॥
इस घटना और चमत्कारों के लिए कहते हैं कि नवाब स्वयं सुन्दरदासजीसे मिलनेको उनके स्थल पर कभी कभी पा जाते थे और कभी कभी सुन्दरदासजो नवाबके यहाँ चले जाते थे । नवाब उनके उपदेशोंसे लाभ उठाते थे। एक समय करामात दिखानेकी प्रार्थना की तो सुन्दरदासजीने नवाबसे कहा कि ईश्वर समर्थ है संसार सारा ही करामात है । नवाबने बहुत नम्रतासे
आग्रह और हठ किया तो सुन्दरदासजीने उस गलीचेके किनारोंको, जिस पर दोनों बैठे थे, उठा कर देखनेको नवाबसे कहा । देखा तो एक कुंटके नीचे फतहपुर नगर बसता हुआ दिखाई दिया । दूसरेके नीचे फतहपुरका सर (जोहडा, तालाब) दिखाई दिया। तीसरेके नीचे नवाबकी फौज और रिसाले, तोपखाने श्रादि सारी सेना दिखाई दी और चौथेके नीचे फतहपुरका बड़ा भारी बीड़ (बीहड़, घासका मैदान ) दिखाई दिया। यह अजमत (करामात) देख कर नवाबको मनमें यह भय हुआ कि कहीं यह फकीर मेरे आग्रहसे रुष्ट तो नहीं हो गये हैं और यह भी कि ये बडे करामाती