Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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[कवि जान कुन कुलको तिलक सब मुलकको सुख देत अजर अमर रही थंभ परवारको । करतकरम करि कीनो है अनूप भूप जग पर जागै कर खांन सरदारको ॥१०४२॥ रूप उजागर बागरको पति लागत है .दिन ही दिन नीकौ । जो लौ है ससि सूरज धू नभ है जगमै जल गंग नदीको । तोलौ करि करतार क्रपाल है , काइम क्यामल खांनको टीको। नैनको तारो है प्रांनको प्यारौ है खां सरदार अधार है जीको ।।१०४३।। चाहत हैं मीन जल मिले ही परत कल चाहत चकोर चंद चकई बिहानको । चाहत मयूर घन चाहत बसेत बन चाहै मनोरथ मन कंवल ज्यों भांनको । अंध चाहै नैन चाहै पग गैन गुम चाहै बोलौ बैन घट चाहै प्रानको । जैसे येती बातनको येती बात चाहत है तैसे मेरे नैन चाहे सरदार खांनको ।।१०४४।। पूत पिताको देखिक, बाढ़त है अनुराव । फदनखां सरदारखां, कोट वरषकी आव ॥१०४५।।
॥ इति रासा सम्पूर्णम् ॥