Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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अलिफखांकी पैडी]
पातसाहदै कंमनों । झूझे दीवांए । हूर भिसत विच ले गई। बैठाइ विवाए ॥१३॥ अलिफखांदी जोडनों। उमराव न आए। जहाँगीर पतिसाह भी। यों किया वखाए । जीवंदे वहु गढ़ लीये । जाएंत जहांए । मुये भिसत ली जाइ कर। धन धन दीवांग ॥१४॥ येहा जुध संसार विच । किनहीं न मचाया । दुहूं वोड़दे सूरिवां । हिक जीव तन पाया । विरचे जोधा आप विच । किरचेकी काया । जगत विसंभर भगि कर। जिद आप वंचाया ।।६।। स्वांम धरम पाल्या भलै। चिकवै चौहॉए । पातसाहदै कमनौ । दित्ता जीव दांग ।। जारत पावै खानदी। चलि सकल जहांए। करामात परगट हुई। सिझे...''दीवांए ।।१६।। नाव घिएदे अलिफखां । दुख दलद भग्गै । मनदी मनसा पुज्जवै । भाग सुत्ता जग्गै ।। पावै धन सुत लखमी। जोई दिल मग्गै । हम कुह पावै भोर उठि। जो पैरा लग्गै ।।९७॥ सुभट सुरणै गल हथ्थियार । तौ रथ्थी लीजै । जेही कीती अलिफखांनु। जेतेही कीजै । पांगी हथियारा हंदा। अंबित ज्यों पीजै ।। कड़ही नांव मरै नही । जै देही छीजै ।।६।। ढाढ़ी पठ पजावदी। बोली पहिच (चानी ?) वह तौ सुध पावै नही । जे करू बढ़ (वढानी ?) भाषादी चिता नही। गल सची ज(जानी ?) उकत विसेख जु कहि गये । सोई परव' (बानी ?) 18.
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