Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 172
________________ - ११४ है कि हो गयी और दिल्ली अमीरोंने दौलतखांको गद्दी पर बैठाया। रासाने फिर भूलसे यह मान लिया मोरोंने खिद्रखां पठानको गद्दी पर बैठाया । खिद्रखां पठानके स्थान पर दौलतखां करने पर, रासाकी बातें प्रायशः ठीक और उक्तिसंगत बैठ जाती हैं । रासामें लिखा है कि खिदरखां पठान ( वास्तवमे संभवतः दौलतखां ) के हिसार पर श्राक्रमणसे क्रुद्ध होकर क्यामखां मुल्तान पहुँचा और वहांके सूवेदार खिजरखांको दिल्ली पर चढा लाया । शायद यह कथन ठीक ही है । कमसे कम यह तो निश्चित है कि क्यामखांने खिज्रखांका पक्ष लिया था । सन् १४११ मे उसने खिज्रखांसे हिसारकी शिकदारी प्राप्त की थी । सन् १४१४ के मई मासमे जब खिनवां ने दिल्ली पर कब्जा किया तो उसने दौलतखांको किवामखां (क्यामखां) को सौंप कर हिसारके किलेमें कैद कर दिया । (देखें, इलियट और डाउसन, ४,४२-४५) । I [ कवि जांन पृष्ठ २६, पद्यांक ३०१. येक द्योंस तो क्यामखां, ठाढे ते सुभाइ । खिजरखानु दीनो धका, परो नदीमें जाइ ॥ कृत ख़िज्रखांके हाथ क्यामखाकी मृत्युका तारीख - मुबारकशाहीमें निम्नलिखित वर्णन है“सन् १४१९ - खिज्रखां बढ़ाऊंकी तरफ बढ़ा और कस्बा पटियालीके पास उसने गंगाको पार किया । जव (बढ़ाऊंके अमीर) महाबतखाने यह सुना तो उसका हृदय बक्से रह गया, और उसने घेरा सहनेकी तैयारी की । खिज्रखां ६ महीने तक घेरा ढाले रहा । जब वह दुर्गं को हस्तगत करने वाला हो था, उसे मालूम हुआ कि दिवंगत सुल्तान महमूदके कुछ अमीरोंने उसके विरुद्ध षड़यन्त्रकी रचना की है... इनके अन्तर्गत किवाम (क्याम) र्खा इख्यारखां थे । ज्योंही खिज्रखांको यह मालूम हुआ उसने वेरा उठा लिया, और दिल्लीकी तरफ कूच किया । रास्तेम गंगाके किनारे २० जुमादल अव्वल, ८२२ हिज्री सन्के दिन किवामखां (क्यामखां ) इख्यारसां और सुलतान महमूदके दूसरे अफसरोंको पकड़ कर उसने राज्य-द्रोहके अपराधमें मरवा डाला और फिर स्वयं दिल्ली वापस गया । ( तारीख मुवारकशाही, पृष्ठ ५१, इलियट एण्ढ डाउसन, भाग ४) । रासाके वर्णनानुसार क्यामखां निरपराध था । केवल सन्देह और व्यर्थके भयके वशीभूत होकर खिज्रखांने उसे मार डाला । पृष्ठ २६, पद्यांक ३०४. जीयो वरस पचानुंवै क्यामखानु चहुवांन ।...... क्यामखांनुका ९५ वर्षकी आयुमें मरना कई कारणोंसे असंगतपूर्ण प्रतीत होता है-(१) पड्यन्त्रका नेतृत्व ही नहीं, सेनामें खिज्रखांके साथमें रहना भी, सिद्ध करता है कि क्यामखां उस समय अतिवृन्द न रहा होगा । ९५ वर्षका बुढ्ढा सेनाके साथ जानेका क्या साहस करेगा ? (२) रासाके अनुसार फिरोज़शाह करमचंद (क्यामखां) को उस समय पकड ले गया जब वह हिसार आया। हिसारकी स्थापना सन् १३५१ के बादकी है । करमचंद उस समय नादान बालक था । मृत्युके समय ९५ वर्षकी आयु माननेसे वह फ़िरोज़शाहके राज्यके प्रारंभमे भी सत्ताइस या अट्ठाइस सालका होता ।

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