Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 175
________________ क्यामखां रासा; टिप्पण] पृष्ठ ३२, पद्यांक ३८२-८३. पल्हू, सहेबा, भादरा, भारंग आदि फतहपुरसे बहुत दूर नहीं है। संभव है कि यहाँ क्यामखानियोंने अपना आधिपत्य स्थापित किया हो। पातसाहकी चोखसौं रहि ना सके हिसार ।.... पातसाहसे मतलव बहलोलसे है। किन्तु जैसा ऊपर बताया जा चुका है बादशाह होनेसे पूर्व ही बहलोलने हिसार ले लिया था। पृष्ठ ३३, पद्यांक ३८६-८७.-बहलोलका रणथंभोर पर आक्रमण और फतहखांका जुहार करना... तबकाते अकबरीके अनुसार बहलोलने सन् ८८६ हिज्री अर्थात् सन् १४८२ ई० में रणथंभोर पर आक्रमण किया । फतहखांने सचमुच इसमे भाग लिया हो तो इससे कायमखानियों के इतिहासमें निश्चित तिथि मिलती है। हम इसके आधार पर कह सकते हैं कि फतहखांने सन् १४५१ से कमसे कम सन् १४८२ ई. तक राज्य किया। पष्ठ ३३, पद्यांक ३६३. मांडूका सुल्तान हिसामदीन...... मांडू मालवा राज्यकी राजधानी था। वहाँ हिसामुद्दीन नामका कोई सुल्तान न था। बहलोलके समय खल्जी महमूद प्रथम मालवेकी गद्दी पर वर्तमान था। वहलोलका इस सुल्तानसे दिल्ली सुल्तान मुहम्मदके समय सन् १४४१ में सामना हुआ। महमूद जब दिल्लीके सुल्तानसे सन्धि कर वापिस जा रहा था, बहलोलने उस पर आक्रमण किया और किसी अंशमें विजय प्राप्त की। हिसामखां नामके एक व्यक्तिका नाम भी इस समय सुननेमें आता है। वह दिल्लीका वजीर और सुल्तान मुहम्मदका परम हितैषी था। बहलोलने मुहम्मदकी सहायता इस शर्त पर की कि हासिमखां कत्ल कर दिया जायगा । (तारीखे खां जहां लोदी, इलियट और डाउसन, खंड ५, पृष्ट ७२)। पृष्ठ ३४, पद्याङ्क ४०६. नारनोलते अखनकी, आई यहै पुकार ।...... अखन इख्तयारखांका ही नाम है । देखो पृष्ठ २७ और इस वर्णनका पद्य ३१८ । पृष्ठ ३५, पयाङ्क ४१४. फतहखांका कांधलको हराना और प्रजाको मारना...... हार शायद क्यामखानियोंकी हुई न कि बीकानेरके संस्थापक वीका के चाचा कांधलकी । इस युद्धमें बहुगुनके मारे जानेसे फतहखां बहुत नाराज हुआ । (दखिये, पृष्ट ११९ पर का टिप्पण)। अजा सांखला शायद सांगाका साला रहा हो। ख्यातोंके अनुसार सांगाने २८ विवाह किये थे। इनमें संभवतः एक सांखली रानी भी रही हो। पृष्ठ ३५, पद्याङ्क ४१६. मुस्कीखां किरांनाका वध...... रासाने युद्धस्थलका नाम सरसा दिया है । इतिहासमे मुश्कीखां किरानीका नाम अप्राप्य है। किन्तु जौनपुरके सुल्तान मुहम्मदने सन् १४५२में दिल्ली पर आक्रमणकी इच्छाले

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