Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 183
________________ श्यामखां गमा; टिप्पणा] १२५ पनि बना कर बादशा जाहांगीरने कांगके विन्ट भेजा, किन्तु भाई-बन्धुओंमे लहना इसे अभीष्ट न मा । यहाँ विद्रोह कर इसने पाली राजाओंका एक प्रबल संघ तयार किया। मम्पद मफी यहाँको इमन युभमें हराया और शादी परगने लूटे, मिन्नु विक्रमजीतके सामने इसका १४ यश न चला। इसकी राजधानी मा नूरपुर पर विक्रमजीतने अधिकार कर लिया। रापास प्रतीत होना अलिपको इस स्थान पर विक्रमजीगने शाही मेनाके कुछ भागके साथ रमा। इसके कुछ दिन बाद मूगजमल योमार पर मर गया । जहाँगीरने इसके स्थान पर उसके भाई जगतसिहको नियुक्त किया और उसमे १००० जान, ५०० मयारसी मनमयदारी दी। (कुछ विशेष वर्णनके लिये अपशिष्ट टिप्पण देग्में)। पृष्ठ ६९, पयांक ८४. जहांगीर मानी नही, थिग्रम करीज यान......। म पंपिये प्रतीत होना कि विक्रमाजीत मर्वप्रथम साम द्वारा कार्य सिद्ध करनेका प्रयत्न विया करता था ! पृष्ठ ६९. पाक, ८१५. दृट्यो गद..... । गदको विजयका समय नवम्बर १६ मन, १६२० है । पृष्ठ ७०, पांक ८२७. ठटा....... या भी पहाटी दुर्ग है । मिन्धका ठटा नहीं । पृष्ट ५२, पद्यांक ८५४. मरदारग्नां .....। मरदारयां पचास वर्षका हो कर १९ मुहरंम मन ५०३५, तदनुसार सं० १६८२ आश्विन मही १३-१४ को सस्तोंकी यौमार्ग मर गया । बादशाहने यह सुन कर पंजायफ पहाड़ोकी फौजदारी भलिफांको दी जो टपके मददगारी में से था । (जहांगीरनामा) पष्ट ७२, पद्यांक ८५५. पहादी नेतामाके स्थानानिके लिये हम पुस्तक परिशिष्ट रूपमें प्रकाशित अलिफखांकी पही दे। पृष्ट ७३, पांक ८६५. नगरोट टेरे कीये जगते दल बल साज...... जगतसिह राजा बमुका दूसरा पुत्र था। (पद्य ८०० वाला उपर का टिप्पण देखो) जब शाहजहांने विद्रोह किया तो उसका कृपापात्र होनेके कारण जगतमिहने पहाटॉमें पहुँच कर उपद्रव किया। (ग्लैटबिन, जहांगीर, पृष्ठ १४३)। पृष्ठ ७४, पद्यांक ८७७. मादकखां पैठान हो, चीटी दई पठाय......। मादिकरयां पंजायका सूबेदार बनाया जा कर जगतसिंहके विरुद्ध भेजा गया। इस कार्यमें उमे विशेष सफलता न मिली । जहाँगीरकी मृत्युके बाद आसफखांने इसे शाहजहांकी तरफ कर

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