Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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अलिफखांकी पैडी]
वरछी सुंड झकोल कर । काढ़ी इह भंत । सर्प सपनों देखिये । निगलत उगलंत ॥६॥ खांदे चक्कर सूरिये । बहुले गज मारे । हार गई भुज मारदै । चित नाही हारे ।। बरछी पोये पीलवांन । कबि भेद बिचारे । जाए कांपा लाइकें । तर पछ उतारे ॥६६॥ लोहूदे नाले चले । नदियां सीपी। गोला लग हाथी पये । धरती कंपाएी । उछली बुदै रगतदी । तिसक्या नीसागी । जाणुं कराड़ा टुट्टिकै । पइया विच पांगी ॥७०॥ बजे झुझाऊँ दुहु दल । नीसांए गमकै । तीर चक्र छएके करै । अरु सांग धमकै । सुंकारे गोली करें । तरवार झमकै । जाणुं काली घटा विच । वै वीज चमकै ॥७१।। हथ्थी हथ्थी जुद्ध करै। और लड़े महावत । पाइकसूं पाइक भिड़े। रावतसू रावत ।। सुभटसू निपट निसंक होइ । मारणनों धावत । काइर कोट जतन करै । जिद वोट बंचावत ॥७२॥ भले भिडै भिड़ आपमें । कुदै कर छालै । वोट होइ कर चोटनो। बै नांही टालै ।। सागी मारे धर पये। तरफै कर डाले । लहरी लैदे देखिये। खाये अहि कालै ॥७३॥ लगे ताजणौं कोह कर । असु करी जगद । हस्तीदै मस्तक चढ्या । चित्त बीच आनद ।। नाल रह्या गड़ि सीस गज । सुणि उकति निरद । जाणूं निकल्या दूजनों । दुतियादा चंद ॥७४॥ सुभट सुभट लड़ रत रंगे। कर खेल धमाल । सभनांदै गल बिच होवै । है कपड़े लाल ।
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