Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
View full book text ________________
क्यामखां रासा]
७६. जे जूझे दीवांन संग, अमर भये संसार । जों जिहाजमै पैठ के, सागर कीजत पार ॥६१८॥ मार मार ही उचरै, अलिफखांन चहुवांन । जोर पर्यो करवार कर, अरि मारे दीवांन ॥१९॥ हाथी येक दीवांनको, नांव चतुर गज ताहि । खलनि उखारत बिच्छ ज्यों, औरापति सम आहि ॥२०॥ कछु हाथी हाथी हने, कछु हने दीवांन । जोधा पाइन तर मथे, भलौ भयौ घमसांन ॥२२॥
॥सवईया ॥ धायौ है मातो गयंद अधीर है काहू नही तब धीर धरी है। खानु अलिफ खरे इतही गज आइ दबाये नहिं ढील करी है। बाही भलैं करवार चरन को सावन ताबर की ज्यों निकरी है।
टटके पांव करी यों गिर्यो मनौ फूटिके खंभ चौखंडी परी है ।।९२२॥ ॥ दोहा ॥ जबहि जुद्ध भारी भय, बिरचे कटक पहार ।
तब दिवांन पाछै परे, बहुत गिराये मार ॥६२३।। तेरहसै मानस हने, पर्यो बहुत घमसांन । इनहूंके बहुतै मरे, गनत न आवै ग्यांन ॥९२४॥ देख्यो जबही पहारी यों, भाजे छाडत नांहि । येक मतौ करिकै फिरे, आइ मिले तब मांहि ॥१२॥ बहुर लड़ाइ फिर परी, जूझे जोध अपार । भये सही दीवांन जू, सुजस रह्यो संसार ॥९२६॥ खेत मांहि जो मरि पड़े, है ताहीको खेत । जाके पाइ न छूटि है, जैत दई तिहं देत ॥२७॥ जिय जान्यो जान्यो मरन, अलिफखांन चहुवांन । भैसी विध ना मर सकै, कोऊ राजा रांन ।।९२८॥
॥ सवईया ॥ प्रबल सबल सत लाज सौ अलिफखां जूझत · झुकंत अकुलात नहीं दलतें ।
Loading... Page Navigation 1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187