Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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क्यामखां रासा - भूमिका
क्यामखांके पाँच पुत्र थे ताजखां, श्रहमदखां, कुतबखां, इख्तयारखां, और मौनखां, ये पाँचों यदे वीर और मनस्वी थे । खिदरखांके बार-बार बुलाने पर भी ये सलाम करने नहीं गए। हिसार में सुखसे बैठे रहे । दीवान ताजखांके छः पुत्र थे - फतहखां, रुका, फखरदी, मोजन, इकलीमखां, और पहाड़ा | कृतघ्नी बादशाह खिदरखांके निःसंतान मरने पर मुवारक, महमदफरीद, श्रलावदी और मुबारक बादशाहका पुत्र अमानतखां क्रमशः बादशाह हुए। फिर बहलोल लोदीने अपने भुजबलसे दिल्लीका तख्त प्राप्त किया । उस समय ढोसी पर श्रखनका राज्य था ।
एक बार बादशाह बहलोलने ईराकसे बहुतसे घोड़े मँगाए । मार्ग में खनने उसमेंसे नौ चुन कर रख लिए। बादशाहने कुपित हो कर घोड़े वापिस न देने पर चढ़ाई करनेकी धमकी दी। उसने उत्तरमें लिखा कि मेरे लाख घोड़े हैं, परन्तु तुमसे युद्ध करनेकी इच्छासे ही मैंने घोडे रक्खे
| तुम निस्संकोच था जाथो मैं ढोसोमें पर्वतकी तरह स्थिर बैठा हूँ । बादशाह इस उत्तरसे रुष्ट तो श्रवश्य हुथा परन्तु वह उसका कुछ भी न बिगाड़ सका । श्रखनने मेवातियोंको बहुत तंग किया, पहाढ़ के पास उसने श्रखन-कोट बसाया । श्रास - पासके सब भोमिया उसे दंड देते थे । श्रांबेर वाले वार्षिक १२ लाख और श्रमरसर वाले ८ लाख भरते थे । तुब खां जो क्यामखांका चौथा पुत्र था, बारु जा बसा और पाँचवां' पुत्र मौनखां बगरमें बसने लगा । श्रास - पासके भोमियों से वह कर उगाहता था, और कछवाहोंमे उस चौहानकी धाक जमी हुई थी ।
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क्यामखांके दोनों बड़े पुत्र हिसार में प्रीति पूर्वक रहते थे । नागौरके फिरोजखांके बुलाने पर दोनों भ्राता वहां गए | खांने बड़े श्रादरके साथ इन्हें रखा और कहा कि मैं भी दिल्लीपतिको सलाम नहीं करता । श्रच्छा हुआ जो एकसे तीन हुए। एक बार चित्तोडके स्वामी रागा मोकल पराक्रमण करनेका विचार कर वे दलबल सहित चले; राणा भी लडनेके लिए मोरचे पर श्रा पहुँचा । राणा मोकलसी और फिरोजखा में परस्पर युद्ध होने लगा । ताजखां और महमदखां खडे - खड़े देखते रहे । राणा मोकलने खांके पैर उखाड दिए । वह नागौरकी ओर मुंह करके भागा । राणाने चार कोस तक उसका पीछा किया और नेजा - निसान छीन कर चित्तोडकी राह ली । दोनों चौहान भ्राता ताजखां, मुहम्मदखां अवसर देख कर राणासे जा भिडे, और युद्धमें राणाको परास्त कर नागौरके नेजे निसान वापिस ले लिए। उन्होंने भागते हुए राणाके हाथी-घोड़े द्रव्यादि लूट लिए और नागौर ले श्राए ।
जिन नेजे-निसानों को हार कर फिरोजखां दे श्राया था, उन्हें चौहान - बंधुओं के वापस लाने पर खां उन्हें लज्जाके मारे मुँह न दिखा सका । स्वामीके भागने पर भी सेवक लडे अर्थात् जड
* जमीनदार ।
१. फतहपुर परिचयमे ७ स्त्रियोंसे ६ पुत्र दिया है । क्यामखाके स्वर्गवासका समय इस ग्रन्थमे सं०
रासामें भी आता है ।.
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होनेका बतलाते हुए मुहम्मदखा नाम अधिक १४७५ लिखा है । मुहम्मदखांका नाम श्रागे