Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ २० क्यामखां रासा - भूमिका तरफ भगा दिया। इधर इख्तारखांने सामनेसे श्राक्रमण किया। दोनों श्रोरसे मार पड़नेसे मेवाती लोग निर्बल हो कर हार गए । विजयी फतहखान लौट कर फतहेपुर श्राया । फतहखाने अपनी वीरता से बड़ी प्रसिद्धि पाई । कांधल और रिणमल, राणा साँगा, श्रजा साँखला श्रादिके साथ रणक्षेत्र में उसको सेनाने शत्रु दलका संहार कर विजय प्राप्तकी थी । फतहखांके यहां वीर बहुगुन तो ऐसा था कि सिर कट जाने पर भी युद्ध करता रहा । ( इसकी कब्र व For a तक मौजूद है ) । मुसarai नामक किर्रानी पठान फतहखां चौहानसे युद्ध करनेके लिए श्राया और सरसेके पास दोनों को मुठभेड़ हुई। फतहखाने मुसकीखां किर्रानीको मार कर विजय प्राप्त की । फिर बेर पर चढ़ाई करके वहांके भोमियोंको भगा कर बेरको लूट लिया । भिवानीको घेर कर जादू जावलोंसे युद्ध किया और उन्हें हराया । भिवानीको लूट कर बहुतों को बंदी बना कर लाया । राव जोधाने सोचा कि यदि फतहखांसे संबन्ध हो जाय तो उधरका खटका मिट जाय, इस लिए उसने नारियल भेजा । काँधलने बहुगुनको मारा था, इस वैरसे फतहखाने नारियल लेना अस्वीकार कर दिया । महमदखांका बेटा समसखां उस समय मूंझणूमें था 'उसके पास भी नारियल भेजा गया' उसने कहा, वहां व्याहने कौन जाय ? यहीं ढोला भेज दो । जोधाने डोला भेजा। मीरां - जीने जो भविष्यवाणी की थी वह सफल हुई । बादशाह बहलोलखां लोदीने फतहखांको बुला कर अपने पास रक्खा । परस्पर बड़ी प्रीति थी । एक दिन बादशाहने कहा कि अपने थापसमें अदल-बदलका विवाह संबंध करो जिससे पारस्परिक प्रीति बढ़े । फतहखांने कहा श्रव मेरे तो कोई पुत्री अविवाहित नहीं है । बादशाहने इसे बुरा माना । तब फतहखां रुष्ट हो कर फतहपुर था गया और फिर दिल्ली नहीं गया । बादशाहने समसखां चौहानके पास अदल-बदल संबंधके लिए कहलाया । उसने प्रसन्न हो कर शाहजादी अपने पुत्रको ब्याही और अपनी बहिन बादशाहको दी । फतहखां श्राजीवन दिल्लीपतिको सलाम करने जलाल खां फतहपुरका स्वामी हुआ न गया । फतहखांकी' मृत्युके बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र दीवान जलालखांके दस पुत्र थे दौलतखां, श्रमदखां, नूरखां, फरीदखां, निजामखने पहाड़खां, दाऊदखां, लाडखां, श्रखन, और महमदशाह | 1 जलालखांने' पिताके बनाए हुए कोटको बढ़ाया और जबरदस्त पोल ( दरवाजा ) बनाई । जलालखां बड़ा शूर-वीर था । वह भी पिताकी तरह दिल्लीपतिके कदमोंमें सलाम करने नहीं जाता था। नागौरके खानका माल लूट लूटकर जलालखां उसे तंग करने लगा । उसने रुष्ट हो कर जलालखांके १. फतहपुर परिचयमें इनका राज्य सं० १५०५ से १३५१ लिखा है । मृत्यु १५३१ में हुई थी । २. फतहपुर परिचयमें इनका राज्य सं० १५३१ से १५४६ तक लिखा है ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187