Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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क्यामखां रासा - भूमिका
तरफ भगा दिया। इधर इख्तारखांने सामनेसे श्राक्रमण किया। दोनों श्रोरसे मार पड़नेसे मेवाती लोग निर्बल हो कर हार गए । विजयी फतहखान लौट कर फतहेपुर श्राया ।
फतहखाने अपनी वीरता से बड़ी प्रसिद्धि पाई । कांधल और रिणमल, राणा साँगा, श्रजा साँखला श्रादिके साथ रणक्षेत्र में उसको सेनाने शत्रु दलका संहार कर विजय प्राप्तकी थी । फतहखांके यहां वीर बहुगुन तो ऐसा था कि सिर कट जाने पर भी युद्ध करता रहा । ( इसकी कब्र व For a तक मौजूद है ) ।
मुसarai नामक किर्रानी पठान फतहखां चौहानसे युद्ध करनेके लिए श्राया और सरसेके पास दोनों को मुठभेड़ हुई। फतहखाने मुसकीखां किर्रानीको मार कर विजय प्राप्त की । फिर बेर पर चढ़ाई करके वहांके भोमियोंको भगा कर बेरको लूट लिया । भिवानीको घेर कर जादू जावलोंसे युद्ध किया और उन्हें हराया । भिवानीको लूट कर बहुतों को बंदी बना कर लाया ।
राव जोधाने सोचा कि यदि फतहखांसे संबन्ध हो जाय तो उधरका खटका मिट जाय, इस लिए उसने नारियल भेजा । काँधलने बहुगुनको मारा था, इस वैरसे फतहखाने नारियल लेना अस्वीकार कर दिया । महमदखांका बेटा समसखां उस समय मूंझणूमें था 'उसके पास भी नारियल भेजा गया' उसने कहा, वहां व्याहने कौन जाय ? यहीं ढोला भेज दो । जोधाने डोला भेजा। मीरां - जीने जो भविष्यवाणी की थी वह सफल हुई ।
बादशाह बहलोलखां लोदीने फतहखांको बुला कर अपने पास रक्खा । परस्पर बड़ी प्रीति थी । एक दिन बादशाहने कहा कि अपने थापसमें अदल-बदलका विवाह संबंध करो जिससे पारस्परिक प्रीति बढ़े । फतहखांने कहा श्रव मेरे तो कोई पुत्री अविवाहित नहीं है । बादशाहने इसे बुरा माना । तब फतहखां रुष्ट हो कर फतहपुर था गया और फिर दिल्ली नहीं गया । बादशाहने समसखां चौहानके पास अदल-बदल संबंधके लिए कहलाया । उसने प्रसन्न हो कर शाहजादी अपने पुत्रको ब्याही और अपनी बहिन बादशाहको दी । फतहखां श्राजीवन दिल्लीपतिको सलाम करने जलाल खां फतहपुरका स्वामी हुआ न गया । फतहखांकी' मृत्युके बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र दीवान जलालखांके दस पुत्र थे दौलतखां, श्रमदखां, नूरखां, फरीदखां, निजामखने पहाड़खां, दाऊदखां, लाडखां, श्रखन, और महमदशाह |
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जलालखांने' पिताके बनाए हुए कोटको बढ़ाया और जबरदस्त पोल ( दरवाजा ) बनाई । जलालखां बड़ा शूर-वीर था । वह भी पिताकी तरह दिल्लीपतिके कदमोंमें सलाम करने नहीं जाता था। नागौरके खानका माल लूट लूटकर जलालखां उसे तंग करने लगा । उसने रुष्ट हो कर जलालखांके
१. फतहपुर परिचयमें इनका राज्य सं० १५०५ से १३५१ लिखा है । मृत्यु १५३१ में हुई थी । २. फतहपुर परिचयमें इनका राज्य सं० १५३१ से १५४६ तक लिखा है ।