Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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कविवर जान और उनके ग्रन्थ
१. बीकानेरकी राजकीय अनूप संस्कृत लाइब्रेरीमें(सं. १७५४ लि. गुटकेमें)प्राप्त सं. १६५७ फतहपुरमें रचित रूपावतो नामक अख्यानकके प्रारंभमें निम्नोक्त महत्वपूर्ण उल्लेख है -
जंबुद्वीप देश तहाँ बागर, नगर फतेपुर नगरां नागर । श्रासि पासि तहाँ सोरठ-मारू, भाषा भल्ली भाव पुनि सारू । राजा वहाँ अलफखाँ जानहु, चहवान हठीका पहिचानहु । ताकर कटक न आवै पारा, समद हिलोरनि स्यों अधिकारा। तुरक तमंकि चढ़े केकाना, नगर नगर भू परे भगाना । राजपूत असि चढ़ि करि कौपह, रविरथ थकै गिमनिकौं लोपह ।
दोहा ता घरि पत सुलछना, मनमोहन सुर ज्ञान । चिरंजीव दिनपति उदो, दूलह दौलतिखांन ।
चौपाई अलफखान चहुवानकी सरभरी, कौं करि सके न देख्यो कर भरी। इह विधि कीयो श्राप वखार, करम जोति स्यौं दिपै लिलार । इन्द्रकी सभा सुनी हम कांनि, परतकि देखी इन्ह पहचानि । जास्यों रस सो नो निधि पावै, जाहिस्यों रिशि सो मूल गंवावै । दीनदार दया असि कीनु, हजरति कह्यो सु शिर धरि लीनु । ता दिगि सेरखांन नित्य सोहे, दीनदार अर सभात विमोहै। सारदुल अर संघ विराजै, गुजै साल शिवाली भाजै ।
दोहा ताहि वजीर साहिबखां, औदखांन उकील । एक ही एक समलंग, बैठे करह सवोल ॥
(राजस्थानमें हिन्दीके हस्तलिखित ग्रन्थोंकी खोज, पृ० ८३ से) २. बीकानेर के स्व. श्री पूज्य जिन चारित्र सूरिके संग्रहमें कवि भिखजन रचित भारती नाममालाकी प्रति है । यह ग्रन्थ सं. १६८५ में फतहपुरमें रचा गया है। कविने दौलतखाँ व उनके पुत्र ताहरखाँनका उल्लेख इन पधोंमें किया है -
बागर मधि गुन ागरो, सुबस फतेहपुर गांव । चक्रवर्ती चहुबॉन निरप, राज करत तिहाँ ठांव ॥१०॥