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के समय - बीकानेर के बच्छावत अमरचन्द, झालरा पाटण के भूरामल गोलेछा, नाहटा अमरचन्द, रायबहादुर दुगड़ गोत्रीय लक्ष्मीपतसिंह धनपतसिंह, अजीमगंज के नाहटा सिताबचन्द आदि।
बेगड़ शाखा - के जिनेश्वरसूरि (१५वीं) पाटण में खान का मनोरथ पूर्ण कर महाजन बन्दियों को छुड़वाया। जिनधर्मसूरि के राणा घडसी, कालू मोहता, मन्त्री नाल्हा, मन्त्री जयसिंह, जेसलमेर के मन्त्री गुणदत्त, जिनचन्द्रसूरि के समय - कच्छ देश के मं० समरथ, शुभकर, मं० समधर, सरदार समरसिंह आदि अणहिलपुर पाटण के हरखा, बरजाङ्ग, सोनकिरिया, महेवा के सदारङ्ग आदि। जिनगुणप्रभसूरि के समय - जोधपुर के संत पत्ता, चाचा देव, सहजपाल आदि। मन्त्री राजसिंह जेसलमेर के मं० श्रीरङ्ग, मं० वस्ता, मं० रायपाल मं० सदारङ्ग, मन्त्री जिया आदि।
पिप्पलक शाखा – में जिनवर्द्धनसूरि के प्रमुख उपासकों में जौनपुर के महत्तियाण शाखा के ठाकुर संग्रामसिंह, ठाकुर जिनदास, संघपति भीखण, देलवाड़ा (मेवाड़) के आडू नाल्हाशाह, रघुपतिशाह, संघपति जिवदास, मोल्हण, सहजपाल सारङ्ग आदि । मेवाड़ के समरिग, साङ्गा और साजण, पाटण के मेघा, तिहुणा, सिवा, नौलखा गोत्रीय मन्त्री रामदेव । जिनचन्द्रसूरि (शिवचन्द्रसूरि १८वीं) उदयपुर के दोसी भीखा, दोसी कुशल आदि।
__ आद्यपक्षीय शाखा - पंचायण भट्टारक जिनचन्द्रसूरि का बादशाह जहांगीर ने मुरतब लवाजमा आदि से बड़ा सम्मान किया। भण्डारी भानाजी नारायण शाह ने कापड़ा तीर्थ में स्वयं भू पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा करवाई। जिनोदयसूरि (१९वीं सदी) के समय - जैतारण निवासी धाड़ीवाल ठाकुर, शंखवाल खीमराज भीमराज ने संवत् १८०९ में पद महोत्सव किया।
भावहर्षीय शाखा - संवत् १६१६ में जोधपुर में भणसाली लाखा। जिनपद्मसूरि (१९वीं सदी) के बालोत्तरा के चम्पावत, आउवा के ठाकुर खुश्यालसिंह और जोधपुर के महाराजा तखतसिंह, जोधपुर के मूता लक्ष्मीचन्द, अहमदाबाद के सेठ सूरजमल आदि इनके भक्त थे। जिनचन्द्रसूरि (२०वीं सदी) के समय में - नागपुर निवासी अगरचन्द गोलेछा, जीतमल बोथरा, और धर्मचन्द गोलेछा इनके प्रमुख भक्त थे। गोलेछा अगरचन्द के नागपुर दादाबाड़ी का जीर्णोद्धार करवाया था।
आचार्यशाखा - जिनसागरसूरि के समय में - सिरोही के महाराजा राजसिंह ने इनका सम्मान किया था। मेड़ता के चोपड़ा आसकरण अमीपाल कपूरचन्द के आपका पदोत्सव १६७४ में किया था। मन्त्री करमचन्द के पुत्र मनोहरदास, जालपसर के मन्त्री भगवन्तदास, मेड़ता के गोलेछा राजसिंह, बीकानेर के करमसी शाह, शाह उदयकरण, हाथी जेठमल, सोमजी, मूलजी, वीरजी, परीख सोनपाल, राजनगर के परीख चन्दभाण, संकचरमल्ल, रायचन्द्र, खम्भात के ऋषभदास भणसाली आदि मुख्य थे। मुकरबखान नवाब भी इनको सम्मान देता था। जिनधर्मसूरि (१८वीं सदी) के समय में - इनकी अध्यक्षता में संघपति उग्रसेन ने अहमदाबाद से शत्रुञ्जय का संघ निकाला था। जिनचन्द्रसूरि के समय में - १७४६ में छाजड़ रतनसी ने इनका पदमहोत्सव किया था। जिनविजयसूरि के समय में - इनका
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