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करवाए। बहरामपुर के सेठ भीमसिंह, सा. देदाजी, सा. घीराजी, सा. रूपाजी, क्यासपुर के सेठ मोहनजी, सा. कुमरसिंह आदि जिनकुशलसूरिजी के प्रमुख भक्त थे।
जिनपद्मसूरि के उपासकों में सेठ हरिपाल, कटुक, कुलधर, झांझण, यशोधवल, कर्मसिंह, खेजसिंह । आदित्यपाट नगर के सेठ वीरदेव, पत्तन के नौलखा सेठ अमरसिंह, सेठ तेजपाल, बूजद्रि के सेठ मोखदेव, सेठ छज्जल, सेठ पूर्णसिंह, त्रिशृिङ्गम के मन्त्री मण्डलिक, मन्त्री वयरसिंह आदि प्रमुख भक्त थे।
जिनोदयसूरि के प्रमुख भक्तों में थे । संवत् १४१५ स्तम्भ तीर्थ के लूणिया जैसल, साधुराज रामदेव, नरसागरपुर के मन्त्री श्वर वीरा, मन्त्री सारङ्ग, गेटा के पुत्र डूंगर, सा. कोचर, बाड़मेर के विक्रम पारख, राजपत्तन के कान्हड़, स्तम्भ तीर्थ के गोवल, देवपत्तनपुर के मन्त्री खेतसिंह ।
जिनराजसूरि के प्रमुख भक्तों में - कडुआ, धरणा और नन्दा, केलवाड़ा के मन्त्रीपुत्र रामण कुमार। संवत् १४९४ चोपड़ा गोत्रीय सा. हेमराज, पूना, देहा, शिवराज, महिराज, लोला, लाखण, सोनगिरा, श्रीमाल वंशीय मन्त्री मण्डन और धनदराज, संघपति मण्डलिक थे ।
जिनचन्द्रसूरि के समय संवत् १५१५ कुम्भदमेरु निवासी कुकड़ चोपड़ा गोत्रीय सा. समरसिंह । आचार्य जिनसमुद्रसूरि के - मण्डपदुर्ग निवासी और जेसलमेर के संघपति श्रीमालवंशीय सोनपाल । जिनहंससूरि के समय बोहित्थरा मन्त्री करमसी, आगरा के डूंगरसी, मेघराज, पोमदत्त । जिनमाणिक्यसूरि के समय पाटण निवासी बालाहिक गोत्रीय सा. देवराज आदि थे।
युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि के समय बीकानेर के मन्त्री संग्रामसिंह बच्छावत, मन्त्रीश्वर करमचन्द, णी के मन्त्री श्वर राय सिंह, शंखवाल गोत्रीय साधुदेव आदि प्रमुख थे। जिनसिंहसूरि के समय टांक गोत्रीय श्रीमाल राजपाल, संघपति सोमजी, मेड़ता के आसकरण चोपड़ा आदि थे। जिनराजसूरि के भक्तों में प्रमुख थे - अहमदाबाद निवासी संघपति शिवाजी, सोमजी, रूपजी जिन्होंने सिद्धाचल तीर्थ पर खरतरवसही अर्थात् चौमुख जी की ट्रंक बनवाई और चोपड़ा गोत्रीय अमीपाल, कपूरचन्द, ऋषभदास, सूरदास आदि ने मेड़ता सिटी में शान्तिनाथ आदि सैंकड़ो बिम्ब भरवाए। जेसलमेर के भणसाली गोत्रीय सेठ थाहरु शाह ने लौद्रवा तीर्थ की प्रतिष्ठा करवाई । राजा गजसिंह, राजा सूरसिंह, असरफ खान, आलम दीवान, नवाब मुकरब खान आदि इनके बड़े प्रशंसक थे।
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आचार्य जिनचन्द्रसूरि के मुख्य भक्त थे - राजनगर निवासी नाहटा गोत्रीय जयमल्ल तेजसी, जोधपुर निवासी मनोहर दास । जिनसुखसूरि के सूरत निवासी पारख गोत्रीय सामीदास सूरदास । जिनचन्द्रसूरि (१९वीं) के - लखनऊ निवासी नाहटा गोत्रीय राजा वच्छराज । जिनहर्षसूरि के जालोर के मन्त्री अक्षयराज, जांगलू के पारख अजयराज । जिनसौभाग्यसूरि के समय - दूगड़ प्रतापसिंह, संवत् १८९७ अजमीगंज के गोलेछा धरमचन्द सेठिया पानाचन्द, सावणसुखा गुलाबचन्द, दुगड़ इन्द्रचन्द, सरदारशहर के बोथरा गुलाबचन्द, बीकानेर निवासी बागड़ी माणकचन्द आदि । जिनहंससूरि
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