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विशाल संघ निकाला था। १३६४ में मन्त्री भुवनसिंह, सुभट, नयनसिंह, दुस्साज और भोजराज ने जाबालीपुर में महोत्सव किया था। सेठ जेसल ने अपने भाई तोला और लाखू के साथ शत्रुञ्जय का यात्री संघ निकाला था।१३६७ में सेठ क्षेमन्धर, पद्मा, साढल, धनपाल, सेठ सामल आदि ने भीमपल्ली से विशाल यात्री संघ निकाला था। संवत् १३७१ में मन्त्री भोजराज और देवसिंह ने मालारोपण आदि महोत्सव किया था। सेठ मानल के पुत्रों ने अपने परिवार सहित फलवर्द्धि का संघ निकाला था। उच्चापुरीय विधि संघ के प्रमुख सेठ लोहदेव, सा. लखण, सा. हरिपाल आदि की प्रार्थना से आचार्यश्री सिन्ध में पधारे थे। राजेन्द्रचन्द्राचार्य के पदस्थापन महोत्सव पर सेठ वैरसिंह ने बड़ा उत्सव किया था। कन्यानयन निवासी काला सुश्रावक संघ सहित फलवर्द्धि पार्श्वनाथ की यात्रा की थी। १३७५ में मन्त्रीदलीय ठाकुर विजयसिंह, ठाकुर सेढु, ठाकुर सा. रुदा, और दिल्ली संघ के प्रमुख मन्त्रीदलीय ठक्कुर अचलसिंह ने कुशलकीर्तिगणि के वाचनाचार्य पद का बड़ा महोत्सव किया था। १३७५ में ठक्कुर अचलसिंह ने निर्विरोध यात्रा के लिए कुतुबुद्दीन सुलतान से फरमान लेकर विशाल यात्री संघ निकाला था। इस संघ में सेठ सुरराज, रुद्रपाल, आदि प्रमुख थे। इस संघ के प्रमुख-प्रमुख श्रेष्ठियों के नाम खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास पृष्ठ १६२ पर देखें।
युगप्रधान जिनकुशलसूरि के आचार्य पदोत्सव कार्य सं. १३७७ में सेठ जाल्हण के पुत्र तेजपाल और रुद्रपाल ने किया था। इस महोत्सव में भीमपल्ली के वीरदेव श्रावक, सेठ राजसिंह, राजमान्य ठक्कुर विजय सिंह, ठक्कुर जैत्रसिंह, ठक्कुर कुमरसिंह, ठकुकुर जवनपाल, जाबालीपुर के सा. गुणधर, पाटण के सा. तिहुण, बीजापुर के ठाकुर पद्मसिंह आदि भी सम्मलित थे। १३८९ में पाटण में सेठ खीवड़ के प्रयत्न से सेठ तेजपाल आदि ने शत्रुञ्जय तीर्थ का संघ निकाला। इस संघ में प्रमुख-प्रमुख थे - भीमपल्ली के सेठ वीरदेव, आशापल्ली के सेठ स्थिरचन्द, खेतसिंह आदि । संवत् १३८० में सेठ तेजपाल और रुद्रपाल की ओर से शत्रुञ्जय तीर्थ पर भगवान् आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई थी। संवत् १३८० में दिल्ली निवासी सेठ हरूजी के पुत्र सेठ रयपति ने बादशाह गयासुद्दीन तुगलक से निर्विघ्न यात्रा हेतु फरमान प्राप्त कर शत्रुञ्जय का महायात्री संघ निकाला था। इस महासंघ में अनेक संघों के संघपति सम्मिलित हुए थे जिनका उल्लेख खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास पृष्ठ १७२ से १८० तक पठनीय है। यह महासंघ जिनकुशलसूरि की सान्निध्य में ही निकला था। १३८१ में सेठ मालदेव, सा. हुलमसिंह सहित सेठ वीरदेव ने सम्राट गयासुद्दीन से फरमान प्राप्त कर भीमपल्ली से शत्रुञ्जय का यात्रा संघ निकाला था। इसी प्रकार संवत् १३८२ में सेठ वीरदेव ने भीमपल्ली में महान उत्सव किया था। १३८३ में सेठ प्रतापसिंह ने अमारी घोषणा पूर्वक नन्दी महोत्सव किया था। मन्त्री भोजराज, मन्त्री सलखणसिंह, उच्चापुर के सेठ हरिपाल, सेठ गोपाल, देवराजपुर के जाल्हण के पुत्र, सा. तेजपाल, सा. रुद्रपाल ने १३८३ में नन्दी महोत्सव किया था। संवत् १३८४ में सेठ नरपाल, सा. वयरसिंह, सा. नन्दण, सा. मोखदेव, सा. लाखण, सा. आम्बा आदि ने महामहोत्सव
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