Book Title: Khajuraho ka Jain Puratattva
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Sahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
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अध्याय १
प्रस्तावना
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मूर्तियों और मंदिरों के कारण विश्व प्रसिद्ध है । यद्यपि आज यह एक छोटा सा गाँव है किन्तु एक हजार वर्ष पूर्व चन्देल शासकों की राजधानी तथा कला एवं स्थापत्य के प्रमुख केन्द्र के रूप में इस स्थल की प्रसिद्धि थी । खजुराहो आज भी अपने अप्रतिम कला-सौन्दर्य तथा नागर शैली के विशाल मंदिरों एवं मनभावन मूर्तियों के कारण विश्व के कोने-कोने से आने वाले पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है । यह स्थान महोबा से ५५ किलोमीटर दक्षिण की ओर, हरपालपुर तथा छतरपुर से क्रमशः ९८ और ४६ किलोमीटर पूर्व की ओर और सतना तथा पन्ना से क्रमशः १२० और ४३ किलोमीटर पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित है। खजुराहो के नवीं से बारहवीं शती ई० के मध्य के चन्देल मंदिर शैव, वैष्णव, शाक्त एवं जैन सम्प्रदायों से सम्बन्धित हैं । मन्दिरों एवं मूर्तियों के निर्माण की दृष्टि से लगभग ९५० ई० से १०५० ई० के मध्य का काल सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहा है । इसी अवधि में यहाँ के श्रेष्ठतम कन्दरिया महादेव, लक्ष्मण, घण्टई और पार्श्वनाथ मंदिरों का निर्माण हुआ । मध्यकाल में वर्तमान खजुराहो के आस-पास का क्षेत्र अर्थात् मध्य प्रदेश का उत्तरी भाग जेजाकभुक्ति या बुन्देलखण्ड के नाम से भी जाना जाता था । स्थानीय जनश्रुति के अनुसार खजुराहो में कुल ८५ मंदिर थे किन्तु वर्तमान में उनमें से केवल २५ मंदिर ही शेष हैं ।"
चन्देल शासक कला एवं स्थापस्य के महान् समर्थक थे । उनके शासन क्षेत्र के अन्तर्गत खजुराहो, महोबा ( महोत्सव नगर), कालिंजर ( या कालंजर), अजयगढ़, दुधइ, चांदपुर, मदनपुर और देवगढ़ जैसे स्थलों पर मंदिरों एवं मूर्तियों की प्रभूत संख्या इस बात का साक्षी है । इन सब में खजुराहो निश्चित ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है । अभिलेख, साहित्य तथा विदेशियों के विवरणों में वर्तमान खजुराहो नाम के विभिन्न रूप मिलते हैं । एक किंवदन्ती के अनुसार यह नगर कभी खजूर के वृक्षों के बीच में बसा था, इसी कारण इसका नाम खर्जूरपुर पड़ा; किन्तु वर्तमान में यहाँ खजूर के वृक्षों का नितान्त अभाव है । शिलालेखों और प्राचीन ग्रन्थों में इस स्थान के खर्जूरवाहक, खर्जूरवाटिकर, खज्जूरपुर, कजुरा, खजुराहा आदि नाम प्राप्त होते हैं । 3
१. कृष्णदेव, "दि टेम्पुल्स ऑव खजुराहो इन सेन्ट्रल इंडिया", ऐन्शियन्ट इंडिया, अंक १५, १९५९, पृ० ४४ ॥
२. विक्रम संवत् १०५९ (१००२ ई०) का धंग का प्रस्तर लेख ।
३. विक्रम संवत् १०२६ (९६९ ई०) का धंग का लेख; विद्याप्रकाश, खजुराहो-ए स्टडी इन दि कल्चरल कन्डीशन्स ऑव चन्देल सोसायटी, बम्बई, १९८२ ( पुर्नमुद्रित ), पृ० १ - २ |
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