Book Title: Khajuraho ka Jain Puratattva
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Sahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
View full book text
________________
भुजा-तं.
Jain Education International
सं० यम २२. गोमेघ (क) श्वे.
वाहन नर
छह
परिशिष्ट
(ख) दि०
___ छह
(या नर)
२३. (i) पाश्व- श्वे०
चार
आयुष मातुलिंग, परशु, चक्र, नकुल, शूल, शक्ति त्रिमुख, समीप ही अंबिका
के निरूपण का निर्देश
(आचारदिनकर) मुद्गर (या द्रुघण), परशु, दण्ड, फल, वज्र, वरदमुद्रा। त्रिमुख प्रतिठातिलकम् दुघण के स्थान पर धन के प्रदर्शन का निर्देश है। मातुलिंग, उरग (या गदा), नकुल, उरग
गजमुख, सर्पफणों के छत्र
से युक्त नागपाश, सर्प, सपं, वरदमुद्रा।
सर्पफणों के छत्र से युक्त धनुष, बाण, भृण्डि, मुद्गर, फल, वरदमुद्रा (अपराजितपृच्छा) नकुल, बीजपूरक वरदमुद्रा, मातुलिंग
मस्तक पर धर्मचक्र
(i) धरण-दि०
चार
For Private & Personal Use Only
या छह
२४. मातंग-(क) श्वे०
(ख) दि०
गज
दो दो
www.jainelibrary.org
१०३