Book Title: Khajuraho ka Jain Puratattva
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Sahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
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लेखक-परिचय डा० मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के कला-इतिहास विभाग में रीडर हैं। आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विषय में स्नातकोत्तर और डाक्टर आफ फिलॉसफी की उपाधियां प्राप्त की हैं। आप पिछले १५ वर्षों से जैन कला और प्रतिमाविज्ञान के अध्ययन में लगे हैं। इस क्षेत्र में आपका योगदान अत्यंत प्रशंसनीय है। इस विषय पर अब तक आपके तीन ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं : जैन प्रतिमाविज्ञान (वाराणसी, १९८१), एलिमेण्ट्स ऑव जैन आइकनोग्राफी (वाराणसी, १९८३), अम्बिका इन जैन आर्ट ऐण्ड लिट्रेचर (दिल्ली, १९८७)।
डा० तिवारी के जैन प्रतिमा विज्ञान विषयक तथा भारतीय कला के अन्य पक्षों से सम्बन्धित ८० से अधिक शोध-पत्र भारत और विदेश की शोध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। वर्तमान में आप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नयी दिल्ली और भारतीय अनुसन्धान परिषद, नयी दिल्ली द्वारा प्राप्त आर्थिक अनुदानों के अन्तर्गत कुछ स्वतंत्र रिसर्च प्रॉजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं : आइकनोग्राफी ऑव गोम्मटेश्वर बाहुबली, जैन महाविद्याज, महाभारत सीन्स इन इण्डियन आर्ट, मेडिवल इण्डियन स्कल्पचर ऐण्ड आइकनोग्राफी (यू० जी० सी० टेक्स्ट राइटिंग प्रॉजेक्ट)। आपने फरवरी'८७ में खजुराहो में 'खजुराहो की कला' पर एक विशाल यू० जी० सी० सेमिनार के आयोजन का भी यश प्राप्त किया है ।
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