Book Title: Khajuraho ka Jain Puratattva
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Sahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho
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अध्याय २
खजुराहो की जैन कला खजुराहो के जैन मंदिर पूर्वी समूह के मंदिरों के अन्तर्गत आते हैं । एक विशाल किन्तु आधुनिक चहारदीवारी के अन्दर यहाँ कई प्राचीन और नवीन जैन मंदिर सुरक्षित है । नवीन जैन मंदिर प्राचीन मंदिरों के ध्वंसावशेषों पर ही निर्मित है जिनमें प्राचीन जैन मंदिरों के प्रवेशद्वारों तथा मूर्तियों का उपयोग किया गया है। वर्तमान में इस चहारदीवारी में कुल १५ जैन मंदिर है, जिनमें केवल पार्श्वनाथ और आदिनाथ मंदिर ही अपने मूलरूप में है। शांतिनाथ मंदिर ( क्रमांक १ ) की मूलनायक की प्रतिमा एवं कुछ अंशों में मंदिर भी अपने मूलरूप में विद्यमान है । चहारदीवारी के बाहर एक अन्य प्राचीन जैन मंदिर के कुछ भाग सुरक्षित हैं । यह मंदिर अपने विशिष्ट अलंकरणों के कारण घण्टई मंदिर के नाम से ज्ञात है । खजुराहो के जैन मंदिर और उनकी प्रभूत जैन मूर्तियां १०वीं से १२वीं शती ई० के मध्य खजुराहो में जैन धर्म और कला के तीव्र विकास की स्पष्ट साक्षी है । पार्श्वनाथ मंदिर खजुराहो का एक विशाल और सुन्दर मंदिर है । पार्श्वनाथ, घण्टई तथा आदिनाथ मंदिरों के निर्माण में स्थानीय जैन समाज के साथ ही किंचित् शासकीय समर्थन भी था।
राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि ____ मंदिरों एवं मूर्तियों के निर्माण में शासकीय संरक्षण एवं समर्थन के साथ ही व्यापारी तथा व्यवसायी वर्ग के आर्थिक सहयोग और धार्मिक संगठन तथा धर्माचार्यों की इन गतिविधियों में रुचि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जैन मंदिरों और मूर्तियों की संख्या तथा उन पर उत्कीर्ण लेख उनके निर्माण में स्पष्टतः चन्देल शासकों, व्यापारी एवं व्यवसायो वर्गों तथा स्थानीय जैन संगठन के सक्रिय सहयोग को प्रकट करता है।
चन्देल शासकों ने अपना राजनीतिक जीवन गुर्जर-प्रतिहार शासकों के सामंत के रूप में प्रारम्भ किया था। प्रतिहारों के समय में राजस्थान में ओसियां (जोधपुर-महावीर मंदिर, लगभग ८वीं शती ई०), मध्य प्रदेश में ग्यारसपुर (विदिशा-मालादेवी मंदिर) एवं उत्तर प्रदेश में देवगढ़ (ललितपुर-शांतिनाथ मंदिर, ८६२ ई०) जैसे स्थलों पर जैन मंदिरों एवं मूर्तियों का निर्माण हुआ । यद्यपि कोई भी चन्देल शासक व्यक्तिगत रूप से जैन धर्मावलम्बी नहीं था किन्तु धार्मिक सहिष्णुता की नीति के कारण इन शासकों ने ब्राह्मण मंदिरों एवं मूर्तियों के साथ ही जैन मंदिरों एवं मूर्तियों के निर्माण को भी प्रोत्साहित किया। चन्देल शासकों के काल में उत्तर प्रदेश में चांदपुर, बूढ़ी चांदेरी, दुधइ, महोबा एवं देवगढ़ तथा मध्य प्रदेश में खजुराहो, अजयगढ़ (गुना), अहार, मदनसागरपुर एवं कई अन्य स्थलों पर जैन मंदिरों एवं मूर्तियों का निर्माण हुआ। कीर्तिवर्मन् के शासनकाल ( १०६३ ई०) में बानपुर में सहस्रकूट जिनालय तथा
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