Book Title: Kavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi Author(s): Kasturchand Kasliwal Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur View full book textPage 6
________________ अध्यक्ष की कलम से श्री महावीर अन्य अकादमी का द्वितीय पुष्प "कविवर बुचराज एवं उनके समकालीन कवि" को पाठकों के हाथ में देते हुए प्रतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसके पूर्व गत वर्ष इसका प्रथम पुष्प " महाकवि ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनयीति" प्रकाशित किया जा चुका है। मुझे यह लिखते हुए प्रसन्नता होती हैं। कि अकादमी के इस प्रथम प्रकाशन का सभी क्षेत्रों में जोरदार स्वागत हुआ है और सभी ने अकादमी की प्रकाशन योजना को अपना पाशीर्वाद प्रदान किया है । इस दूसरे पुष्प में संवत् १५६१ से १६०० तक होने वाले ५ प्रमुख जैन कवियों का प्रथम बार मूल्यांकन एवं उनकी कृतियों का प्रकाशन किया गया है। इस प्रकार श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी समूचे हिन्दी जैन साहित्य को २० भागों में प्रकाशित करने के जिस उद्देश्य को लेकर स्थापित की गयी थी उसमें वह निरन्तर आगे बढ़ रही है । प्रथम पुष्प के समान इस पुष्प के भी लेखक एवं सम्पादक डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल हैं जो अकादमी के निदेशक भी हैं। डा० साहब ने बड़े परिश्रमपूर्वक राजस्थान के विभिन्न ग्रन्थ भण्डारों में संग्रहीत कृतियों की खोज एवं अध्ययन करके उन्हें प्रथम बार प्रकाशित किया है। ४० वर्षों की अवधि में होने वाले ५ प्रमुख कवियों- ब्रह्म यूवराज, कविवर छील, चतुरूमल, गारवदास एवं ठक्कुरसी जैसे जैन कवियों का विस्तृत परिचय, मूल्यांकन एवं उनकी कृतियों का प्रकाशन आज प्रकादमी के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। ये ऐसे कवि हैं जिनके बारे में हमें बहुत कम जानकारी यो तथा चतुमल एवं गारवदास तो एकदम मज्ञात से थे । प्रस्तुत भाग में डा० कासलीवाल ने पांच कवियों का तो विस्तृत परिचय दिया ही है साथ में १३ अन्य हिन्दी जैन कवियों का भी संक्षिप्त परिचय उपस्थित करके प्रशांत कवियों को प्रकाश में लाने का प्रशंसनीय कार्य किया है। वैसे तो श्री महावीर अन्य अकादमी की स्थापना ही डा० कासलीवाल की सूझबूझ एवं सतत् साहित्य साधना का प्रतिफल है। डा० साहब ने अब तो अपना समस्त जीवन साहित्य सेवा में ही समर्पित कर रखा है यह हमारे लिए कम गौरव की बात नहीं है । मुझे यह लिखते हुए प्रसन्नता है कि श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी को समाज द्वारा धीरे-धीरे सहयोग मिल रहा है लेकिन अभी हमें जितने सहयोग की अपेक्षा थीPage Navigation
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