Book Title: Karm Prakruti Part 02
Author(s): Shivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
Publisher: Ganesh Smruti Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ अर्थसहयोगी परिचय प्रस्तुत कृति 'कर्म-प्रकृति भाग-दो' का प्रकाशन संघ/शासननिष्ठ, सुश्रावक अनन्य गुरुभक्त श्रीमान् गोपालचन्दजी भूरा मूल निवासी देशनोक हाल-मुकाम कलकत्ता के अर्थ सौजन्य से हो रहा है। धर्म-तप-सेवा-सौजन्य की प्रतीक धरा-देशनोक जहाँ बेजोड़ लोकदेवी करणी माता से गौरवान्वित है वहीं श्रेष्ठिवर्यों के औदार्य, स्वधर्मी-स्नेह, जनकल्याण भावना तथा हुक्मेश संघ के संवर्द्धन/संरक्षण हेतु भी इसकी पृथक् पहचान है। इस नगरी में शासन प्रभावक क्रियानिष्ठ श्री ईश्वरमुनि जैसे तपस्वी साधक व वर्तमान शासनेश शास्त्रज्ञ, प्रशान्तमना, आगमवारिधि आचार्य श्री रामेश तो हुए ही हैं अनेक चारित्रात्माओं ने भी अणुव्रतों की पगडंडी छोड़कर महाव्रतों का राजमार्ग अंगीकृत किया है। धन्य है 'देश' की 'नाक' देशनोक जिसे धर्मवीरों, कर्मवीरों, तपस्वियों, साधकों व समर्पित कार्यकर्ताओं की जन्मभूमि बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। - आपके पिता श्रीमान् दीपचन्दजी भूरा का नाम ऐसे श्रद्धानिष्ठ, चतुर्विध संघ हेतु सर्वतोभावेन समर्पित, राष्ट्रीय/सामाजिक/शैक्षणिक/सांस्कृतिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहकर मुक्त हस्त से अर्थ सहयोग प्रदान करने हेतु अग्र पंक्ति में हैं। अल्पायु में ही व्यवसाय क्षेत्र में अग्रसर होकर आपके पिताश्री ने जिस लगन, निष्ठा, अध्यवसाय से साफल्य के चक्रिल सोपान तय किये वे आदर्श व अनुकरणीय हैं। आपने भारत के विभिन्न भागों में ही व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थापित किये वरन् 'कॉटन किंग' के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं तक प्रामाणिक निर्यातक की ख्याति अर्जित की। संघ की स्थापना से लेकर अद्यावधि तक इसके उन्नयन हेतु किये गये आपके पिताश्री के कार्य, अनेक शैक्षणिक/सामाजिक/धार्मिक संस्थाओं की स्थापना एवं समता विभूति समीक्षण ध्यान योगी आचार्य श्री नानेश के प्रति अप्रतिम भक्ति/सेवा/समर्पणा के प्रतीक हैं। 'दीप' वत प्रकाश फैलाना व 'चन्द' वत शीतलता प्रदान करना आपके विशेष गुण हैं। श्री भूरा जी ने श्री अ. भा. साधुमार्गी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व भी प्रदान किया है। संघ के गौरवशाली अध्यक्ष रहकर आपके पिताश्री संघ को सर्वतोमुखी ऊँचाइयों पर ले गये वह इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। ८६ बसन्तों को पार करने पर भी आपमें युवक सा उत्साह है तथा संघ के विकास हेतु आप सदैव प्रयासरत तो रहते ही हैं, अपना अमूल्य मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। उल्लेख्य है कि आपने संघ के प्रकाशनों में तो सहयोग प्रदान किया ही है हाल ही में बीकानेर में [५]

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 522