Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची चन्द्रराजा रास, मु. मोहनविजय, मागु., पद्य, वि. १७८३, आदिः प्रथम धराधव तीम; अंति:७९५२. सिद्धहेमशब्दानुशासन की स्वोपज्ञवृत्ति (चन्द्रअभिधान), अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १४९-१२९(१ से १२९)=२०,
जैदेना., पू.वि. बीच के पत्र हैं., (२६४११, १५४४६-५०). सिद्धहेमशब्दानुशासन-स्वोपज्ञ तत्त्वप्रकाशिका बृहद्वृत्ति, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, वि. ११९३, आदि:-;
अंति:
७९५३." धातुरत्नाकर सह क्रीयाकल्पलता स्वोपज्ञटीका, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २०, जैदेना., प्र.वि. पदच्छेद सूचक
लकीरें, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., (२६.५४११, १८४५७). धातुरत्नाकर, उपा. साधुसुन्दर, सं., पद्य, वि. १६८०, आदिः श्रीदं स्तात् परमं; अंति:
क्रियाकल्पलता-स्वोपज्ञ टीका, उपा. साधुसुन्दर, सं., गद्य, वि. १६८०, आदिः श्रीमान् स श्रीसुमति; अंति:७९५४." प्रवचनसारोद्धार सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १२०, जैदेना., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें, टिप्पण युक्त
विशेष पाठ, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. गा.१६१३ अपूर्ण तक हैं., (२६.५४११, ६४४९-५८). प्रवचनसारोद्धार, आ. नेमिचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदिः नमिऊण जुगाइजिणं; अंति:
प्रवचनसारोद्धार-टबार्थ, मागु., गद्य, आदि: नमस्कार करीनइ युगादि; अंति:७९५७. भुवनदीपक - ग्रहभाव प्रकाश, संपूर्ण, वि. १७११, मध्यम, पृ. १३, पे. २, जैदेना., पठ.- पं. देवा, (२४४१०.५, ११
१२४२३-२९). पे.-१. भुवनदीपक, आ. पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३पू, (पृ. १अ-१३आ), आदिः सारस्वतं नमस्कृत्य; अंतिः
श्रीपद्मप्रभसूरिभिः., पे.वि. श्लो.१६५.
पे:२. वाहन विचार, सं.,मागु., प+ग, (पृ. १३आ-१३आ), आदिः गर्दभोअश्वहस्ती; अंतिः नारद उचते हरि. ७९६१. दशवैकालिकसूत्र, अपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. २२-१७(१ से ९,१३ से १७,१९ से २१)=५, जैदेना.. पू.वि. बीच-बीच के
पत्र हैं., (२६४११, १३-१५४३९-४३).
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यम्भवसूरि, प्रा., पद्य, वी. २वी, आदि:-; अंति:७९६२." प्रकरणचतुष्क सह टबार्थ व आयुप्रमाण, संपूर्ण, वि. १७०४, श्रेष्ठ, पृ. २०, पे. ४, जैदेना., ले.स्थल. कालधरी(कालन्द्र,
ले.- गणि अमिरूचि (गुरु पं. हितरूचि), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. कर्ता के शिष्य द्वारा लिखित प्रत-टबार्थादि, टिप्पण
युक्त विशेष पाठ, (२४.५४१०.५, ४४४१-४३). पे.-१. पे. नाम. प्रकरण चार सह टबार्थ, पृ. १आ-८आ
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदिः जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंतिः अणागयद्धा अणन्तगुणा. नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, पं. हितरूचि, मागु., गद्य, आदिः जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंतिः कालआश्रीअनन्तगुणाछई.,
पे.वि. मूल-गा.५४. प्रतिले.वर्ष-१७०३. स्थल-खीमेल. पे..२. पे. नाम. जीवविचार सह टबार्थ, पृ. ९अ-१३आ
जीवविचार प्रकरण, आ. शान्तिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ. जीवविचार प्रकरण-टबार्थ, पं. हितरूचि, मागु., गद्य, आदिः भुवन प्रदीपं क० चउद०; अंतिः सिद्धान्त उद्धरीउ.,
पे.वि. मूल-गा.५१. प्रतिले. स्थल-छेचलीनगर. पे.-३.पे. नाम. दंडक प्रकरण सह टबार्थ, पृ. १४अ-२०आ
दण्डक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदिः नमिउं चउवीस; अंतिः एसा विनत्ति अप्पहिआ. दण्डक प्रकरण-टबार्थ, पं. हितरूचि, मागु., गद्य, आदिः देविं प्रणम्यवामेयां; अंतिः विचारसत्तरी लिखी., पे.वि.
मूल-गा.४४. पे.४. विविध जीवों के आयुप्रमाण, मागु., गद्य, (पृ. २०आ-२०आ), आदिः मनुक्ष १२० वर्ष; अंतिः मास ३ कंसारी वर्ष ३.
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