Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 453
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ८७५६+६) संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४३३ (२) आवश्यकसूत्र-दीपिका टीका#, आ. माणिक्यशेखरसूरि, सं., | (२) आवश्यकसूत्र-कथा सङ्ग्रह, सं., पद्य, मूपू., (अन्तरङ्गार) ग्रं.११७१०, वि. १४०१, गद्य, मूपू., (नत्वा श्री) २६७९(+) (२) आवश्यकसूत्र-लघुवृत्ति#, आ. तिलकाचार्य, सं., ग्रं.१२३२५, | (२) आवश्यकसूत्र-कथा सङ्ग्रह, सं., गद्य, मूपू., (नवकार इक्क) वि. १२९६, गद्य, मूपू.. (देवः श्रीन) ७१५९), २५५३६+६), ४६८०) ८९२३(+$), २६९१६), २४८९(६) (२) अतिचार विवरण, सं., गद्य, मूपू., (ननु कथं बन) ३११८-२ (२) आवश्यकसूत्र-शिष्यहिता टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., (२) आवश्यकसूत्र-षडावश्यकसूत्र, प्रा., गद्य, मूपू., (नमो अरिहन) ग्रं.२२०००, गद्य, मूपू.. (प्रणिपत्य) ३४२१(45) ८८१९), ७७४०, ८२४१(६), ८१२४(६), ८७४८(5) (२) आवश्यकसूत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (ग्रन्थारम) ८४६८-२ ।। | (३) षडावश्यकसूत्र-वृत्ति , सं., गद्य, मूपू., (-) ८८८६+६), (२) आवश्यकसूत्र-विषमपद पर्याय टिप्पण, सं., गद्य, मूपू., ८१२४(5) (जिनेत्यादि) ३४७२-२(+) (३) षडावश्यकसूत्र-टबार्थ+बालावबोध, मु. जिनविजय, मागु., वि. (२) आवश्यकसूत्र-बालावबोध , मागु., गद्य, मूपू., (नमो अ० इत) १७५१, गद्य, मूपू.. (श्रीजिसविज) ७७४० ७५२० (३) षडावश्यकसूत्र-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (समोसरणि (२) आवश्यकसूत्र-बालावबोध', मागु., गद्य, मूपू.. (महात्मानी) बइ) ८८१९) ३७१० (३) षडावश्यकसूत्र-बालावबोध, मु. जिनचन्द्रसूरि-शिष्य, मागु., (२) आवश्यकसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (नमो० नमस्क) गद्य, मूपू.. (सुरासुरनमस) ८७४८७० ४३३९), ७८४१-१ (३) षडावश्यकसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (वीतराग१२) (२) चैत्यवन्दनसूत्र, प्रा.,सं., प+ग, मूपू., (नमो अरिहन) ८२४१(६) १४३२(45), ५१२२(5) (२) क्षेत्रदेवता स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (यस्याः क्ष) (३) चैत्यवन्दनसूत्र-विषमपदपर्यायमञ्जरी वृत्ति, आ. १११७-१९,७५४४-४(5) अकलङ्कदेवसूरि, सं., गद्य, मूपू., (तं नमो ज्ञ) ६५५४(१) (२) गुरुवन्दनसूत्र-श्वे.मू.पू., प्रा., गद्य, मूपू., (इच्छा० सन) ४७(३) चैत्यवन्दनसूत्र सङ्ग्रह-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (समणेण सावए) १४३२(45) । (३) गुरुवन्दनसूत्र-टीका, आ. यशोदेवसूरि, सं., वि. ११८०, गद्य, (२) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ३, पद्य, मूपू., मूपू., (साम्प्रतं) ४७-२(+) (विशाललोचनद) १७८७-७६) (३) गुरुवन्दनसूत्र-बालावबोध, आ. ज्ञानविमलसूरि, मागु., वि. (२) लोगस्ससूत्र, प्रा., गा. ७, पद्य, मूपू.. (लोगस्स उज) १७७३, गद्य, मूपू., (इच्छं क०) ५४-२ २३६१), ४१००) (२) देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, प्रा.,सं.,मागु., प+ग, (३) लोगस्ससूत्र-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (चउद राजलोक) मूपू., (नमो अरिहन) १७९२-१(+), ४६१४(4), २४५४-१(+), ४१००) ६४६०-१, २१८१ (३) लोगस्ससूत्र-बालावबोध', मागु.. गद्य, मूपू., (चऊद (२) देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र सङ्ग्रह-अञ्चलगच्छीय, प्रा.,सं..गुज., राजलोक) २३६१(+) प+ग, मूपू., (नमो अरिहन) ५९२०-१, २७४९९३) (३) लोगस्ससूत्र-लोगस्सकल्प, सं.,प्रा., गद्य, जै.. (ॐ ह्रीं) (२) पंचप्रतिक्रमणसूत्र-अञ्चलगच्छीय, प्रा.,सं.,गुज., प+ग, मूपू., ६२७९-१०(+) (प्रथम सन्ध) ४५५८) (४) लोगस्ससूत्र-लोगस्सकल्प की यन्त्रविधि, सं.,मागु., गद्य, (२) पंचप्रतिक्रमणसूत्र-खरतरगच्छीय, प्रा., प+ग, मूपू.. (णमो मूपू., (ए लोगसनो) ६२७९-१२(4) अरिहन) २६२६-७४(+), १८४३, ६०११-१, ६०४०, ६१६४, (२) शक्रस्तव, प्रा., पद्य, मूपू., (नमुत्थुणं) ७८४१-२ (३) शक्रस्तव-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (नमस्कार हो) ७८४१-२ । (२) पंचप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, प्रा.,सं.,मागु., प+ग, मूपू., (२) सकलकुशलवल्लि चैत्यवन्दनसूत्र, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (नमो अरिहन) १२६७-१, ३४६०, ५३७७) (सकलकुशलवल) ७५५१-२४), ५८२७-६९, ६०४२-९७). (३) पौषधपारणसूत्र-तपागच्छीय का टबार्थ, प्रा.,गुज., गद्य, मूपू., ६०५९-१६६७) (सागरचन्दो) ६०९७-३(६) (२) आवश्यकसूत्र-कथा, मागु., गद्य, मूपू.. (भरतक्षेत्र) ३७१७ (३) पौषध प्रत्याख्यानसूत्र, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (करेमि भन्त) ७१७०७) For Private And Personal Use Only

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