Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 484
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४६४ १३२३() कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ (२) नवतत्त्व प्रकरण-विवरण, सं., गद्य, मूपू., (जयति श्रीम) (२) नवस्मरण-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (त्रिभुवननी) १४२४, १८२६-२{+#) १६३४-१(45-) (२) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मु. मेरुतुङ्गसूरि-शिष्य, मागु., (२) नवस्मरण-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (नमस्कार अर) गद्य, मूपू., (श्रीवीरं) ९११० ७६०९(45), ६४२४(45), ८१३९(१), ७३६०(5) नवतत्त्व प्रकरण, आ. मणिरत्नसूरि, प्रा., गा. ५५, पद्य, मूपू.. | (२) नवस्मरण-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (माहरो नमस) ५२२२ (जीवाजीवापु) ८०७१-१०,४३४-२, १८५३, ५०९६, ८३६७-१, (२) नवस्मरण-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (अरिहन्तनइं) ७२२४६६३५-१(5) १), १५१४६) (२) नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मागु., गद्य, मुपू., (नत्वा देवा) १८५३ । (२) बृहत्शान्ति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., गद्य, मूपु., (भो भो भव्य) (२) नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (श्रीवीरजिन) २६२६-४६(+), १४८५-८(+), ७२६१-३(45), २९९७-२४(45), १७८९८३६७-१ ३, २२०२, २५०३-२, ३८८५-१, ४४८०, ५४४२-५, ६०११-२२, नवपदआराधना विधि, मागु.,सं., गद्य, मूपू., (प्रथम आशु) ८०३२- ६२०२-२, ७४७४, ८४०७-२, ६६९५, ६०१९-७७), ६९५९-२(७), ६४७८-४१७), ३१७३(5) नवपद खमासण विचार, प्राहिं.,सं., गद्य, मूपू.. (तिहां प्रथ) (३) बृहत्शान्ति स्तोत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (भो भो भव्य) ६१२५, ५७१६(१) ३८८५-१, ६६९५, २२०२, ७४७४ नवपद गुण, सं., गद्य, मूपू.. (अरिहन्त के) ३४३२-२). ८५१५-१, | नवस्मरण अञ्चलगच्छीय, सं.,प्रा.,९ स्मरण, प+ग, मूपू., (परमेष्ठि) १७८४(+) नवपद चैत्यवन्दन, सं., श्लोक १४, पद्य, मूपू., (राजगृहे पु) नाभेय स्तोत्र, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. २५, पद्य, मूपू.. ९४८-३ (नमिय जिणमु) २८४४-१(4) नवपदतप विधि, सं.,राज., गद्य, मूप., (तिहां प्रथ) ४०३६-१, | (२) नाभेय स्तोत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (नमस्करी जि) १०९६-१, २१२८-१(5) २८४४-१(+) नवपद पूजा, उपा. यशोविजयजी गणि, प्रा.,सं.,मागु., पद्य, मूपू.. | निघण्टुशेष, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., ६कांड, पद्य, (उपन्नसन्ना) २८८५-१(+), २९१४(45), १२०५, ४९४५, ६०३३-५, | मूपू., (विहितैकार) ६३५८-१ ८१७५, ८६२५-३, १३९८६), २२६८(), ७४६८-१(६), ७४९८-२) | निन्दा गाथा, प्रा.,मागु., गा. १, प+ग, मूपू., (मोहवसेणं) ७५३९-८ नवपद पूजाविधि, सं.,मागु., पद्य, मूपू., (नवपद मण्डल) ५७८६(५) । नियम रथ, प्रा.,मागु., गा. १, प+ग, मूपू., (अविरिआण सण) नवपद लघु पूजा, आ. ज्ञानविमलसूरि, प्रा.,सं., पद्य, मूपू., ७५३९-७ (उपन्नसन्ना) २४८६-१ निरञ्जनाष्टक, सं., श्लोक ८, पद्य, (स्थानं न) ७२५७-१(5) नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., ९ स्मरण, प+ग, मूपू., निर्जरपञ्चमीव्रत कथा, सं., श्लोक ४२, पद्य, दि., (सन्मतिनाथम) (नमो अरिहन) ५१४२-१(+), ११०७-२(१), १५००(१), ५०५८), ६००२-३१) ८८३७+7, २४३८-१(+#), १४२४/+#), १६७८-१(+#5), ७००३- निर्दोषसप्तमी व्रतकथा, सं., श्लोक ४६, पद्य, दि., (महावीरं जि) १(+#$), १२०३-१(45), २४९७६), ५६८३(45), ७६०९(45), २६३-१, ६००२-७३(+) १२५८-१, १६१७, ६४९१-२, १५६४, ५००६, ५२२२, ६०३०, निर्दोषसप्तमी व्रतकथा, सं., गद्य, दि., (शान्तिनाथं) ६००२-३७+) ७९६६,९१६०, १६०५,२१०१-१,८५३७, १४०९-११, २०९२- निशीथसूत्र, प्रा., २०उद्देश, ग्रं.८१५, गद्य, मूपू., (जे भिखु हत) १). ६४२४(5), १६३४-१(#5-). ६२०९-१६,६५७६-२६, ७२२४- ३२२४(+), ४१७२), ७६००+). ७३७५), २७७१(4), ७९६, १(s), ८२९३-१६), ९७६-१(s), ८१४७-१(s), १५१४(६), ३४५०- १७२४, २०६३, ६३८८, ७१८७#5), ३८३४(5) १(s), ७६९७६), ७७४७६), ८१३९९६), १३२८(), ७३६०(६), (२) निशीथसूत्र-विशेष चूर्णी#, गणि जिनदास महत्तर, प्रा.,सं., ७१७१(६), २२२८) ___ग्रं.२८०००, वि. ८वी , गद्य, मूपू., (नमिऊण अरहन) ३८३४(5) (२) नवस्मरण-सप्तस्मरणटीका, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., गद्य, (२) निशीथसूत्र-बालावबोध', मागु., १९उद्देशक, गद्य, मूपू., मुपू., (प्रणिपत्य) ६०३० (सूत्रमय चि) २७७१(4) (२) नवस्मरण-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (नमो नमस्का) ८८३७), | (२) निशीथसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू.. (जे कोई भि०) ७३७५), १७२४ ५६८३(+) For Private And Personal Use Only

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