Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 498
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४७८ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ १७९६-२ १, पद्य, मूपू., (वीरः सर्वस) ७८७-२(१), ५४८९-४६६७), ६२०९महावीरजिन स्तव, आ. जिनवल्लभसूरि, सं., श्लोक ३०, ग्रं.३५७, पद्य, मूपू., (भावारिवारण) ९७१(+), २६२६-६८+), ७९१८(+), महावीरजिन स्तोत्र, सं., श्लोक ८, पद्य, मूपू., (सिद्धे समा) १४८५-१३(+), २३३०(+#). ५४९०-३९, ५८२७-८१, ६०११-१४, ६२६९-७ ५४८९-७(5), ६७८१-३(5) महावीरजिन स्तोत्र, मु. मुनिसुन्दर, प्रा., गा. ५, पद्य, जै., (२) महावीरजिन स्तव-टीका, उपा. जयसागर गणि, सं., वि. (जयसिरिजिणव) १३३६-३, ६४६०-२४, ८७०७-३७) १४६५, गद्य, मूपू., (श्रेयोर्थ) ९७१(+) महावीरद्वात्रिंशिका, आ. सिद्धसेनदिवाकर सूरि, सं., श्लोक ३३, (२) महावीरजिन स्तव-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (भावाः क्रो) पद्य, मूपू., (सदायोगसाम) ६००९-३(+), ४११५, ६२१९ ७९१८) (२) महावीरद्वात्रिंशिका-अवचूरि, मु. उदय, सं., ग्रं.२५०, गद्य, (२) महावीरजिन स्तवन-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (अन्तरङ्ग) मूपू., (स्याद्वादव) ६२१९ २३३०(+#) (२) महावीरद्वात्रिंशिका-टबार्थ, मागु.. गद्य, मूपू., (श्रीगुरुना) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ३, पद्य, मूपू., (नमः श्रीवी) ४११५ १७८७-६६६) महिपालराजा कथा, गणि वीरदेव, प्रा., गा. १८०९, ग्रं.२५००, महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (नमोस्तु वर) पद्य, मूपू., (नमिऊण रिसह) ४९०८(+), ७६८३(+), ५६८९(+), १७९१-२३६), ७५४४-५(5) ३२६(45), ८५१८, ३८६१-१९७) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (पापा धाधान) (२) महिपालराजा कथा-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (नमस्कार कर) ५४८९-३२६), ७५४४-३१(६) ____७६८३(+), ५६८९५), ३२६+६) । महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (यदंह्रिनमन) महीपकोश, महीप, सं., पद्य, (-)-<प्रतहीन.> २६२६-१३(१), १४८५-२०(+), १७९४-९(१), २९९७-१३(5), (२) महीपकोश-हिस्सा सारङ्गशब्दार्थ, महीप, सं., पद्य, १७९९-१३६+६), ५४९०-९, ५८२७-८, ६०११-२३, १७९१-९(१), (सारङ्ग कुञ) ६३५८-२ १७९१-१५), १४८७-१३(5). ५४८९-२९६, ७५४४-१५) महीपाल कथा, सं., श्लोक १०४, पद्य, मूपू., (श्रीवीरयुग) ८९५६ महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (लोकाधारं) महीपाल चरित्र, उपा. चारित्रसुन्दर, सं., सर्ग ५, ग्रं.८९५, पद्य, १७९४-३६+#) मूपू., (यस्यां सदे) ८१९८ ।। महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (वीरं देवं) २६२६- । मांगलिक श्लोक, सं., श्लोक २, पद्य, मूपू., (अर्हतो मङ) ७१६-२ १८(+), १४८५-३६(+), १७९४-४(+#), ५४९०-१४, ५८२७-१३, माण्डला विधि, प्रा.,मागु., गद्य, जै., (तिहां प्रथ) ६०६२-९७) ६०११-३६, ६०८८-२२, ६४६०-१०, २३३६-५५, १७९१-१३६१), माधवनिदान, आ. माधवाचार्य, सं., पद्य, (प्रणम्य जग) ७२५३(45) १४८७-७६), ५४८९-१७), ६०९०-५(७), ६०९६-५७), ७५४४- (२) माधवनिदान-मधुकोश टीका, विजयरक्षित, श्रीकण्ठदत्त, सं., २१(६), २८४५-१४ गद्य, (प्रणम्येत) ७२५३(45) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ८, पद्य, मूपू., (वीरः सर्वस) मिथ्यात्व १० प्रकार, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (धमे धूमे) १७३७-२ ११०७-१(4) मुकुटसप्तमीव्रत कथा, सं., श्लोक ४२, पद्य, दि., (नमस्कृत्य) महावीरजिन स्तुति, सं., पद्य, मूपू., (श्रीदेवार) २६२६-३९(+) ६००२-५९(+) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, जै.. (श्रीवीरोदि) ५८८०- | मुकुटसप्तमीव्रत कथा, मु. सकलकीर्ति, सं., श्लोक ५५, पद्य, दि., (नाभेयादिजि) ६००२-२६(+) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, जै., (सिद्धार्थक) ९१७१- मुक्तावली कथा, सं., श्लोक ६०, पद्य, दि., (वीरमानम्य) ६००२ महावीरजिन स्तुति, प्रा., गा. ११, पद्य, मूपू., (पञ्चमहव्वय) मुनिपति चरित्र, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., गा. ६४६, वि. ११७२, ४६७६-२, ५९०६-२ पद्य, मूपू., (नमिऊण महाव) ९२७५९) महावीरजिन स्तुति, प्रा.,सं., गा. ४, पद्य, मूपू., (परसमयतिमिर) | (२) मुनिपति चरित्र-अनुवाद, मागु., गद्य, मूपू., (एह भरतक्षे) __१७९१-२४(*), ७०००-२(5), ७५४४-६(६) __ १९७२(+) महावीरजिन स्तुति, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लोक | (२) मुनिपति चरित्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य पर) For Private And Personal Use Only

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