Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 497
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४७७ (२) भुवनदीपक-बालावबोध, गणि लक्ष्मीविनय, मागु., वि. १७६७, | महादेवी सूत्र, महादेव, सं., श्लोक ३९, पद्य, (सिद्धिं कर) २६०४गद्य, मूपू., (सारस्वत्या) ५६८१ १(45), ४८२७, ५३०१ (२) भुवनदीपक-बालावबोध', मागु., गद्य, मूपू., (सरस्वती ना) (२) महादेवी सूत्र-दीपिका टीका, वा. धनराज, सं., ग्रं.१५००, वि. ४८०९-१, ८६८८-१, १११८-१, ४७३३-१०, ७०३४६) १६९२, गद्य, मूपू., (श्रीनाभेयं) २६०४-१(45), ४८२७, ५३०१ (२) भुवनदीपक-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (सरस्वती सम) महानिशीथसूत्र, प्रा., अध्याय ६अध्ययन+२चूलिका, ग्रं.४५४४, २४४१६+), २२२१-१(+), ७८२६-२, २३०७६), ३०४०-१(#5) गद्य, मूपू., (ॐ नमो तित) ३५(+), ३४,३७१८,७८२०, भुवनभानुकेवली चरित्र, सं., ग्रं.१८००, गद्य, मूपू., (अस्तीह जम) ८६९९७) २९६(+), ७१९१+5) (२) महानिशीथसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू.. (--) ३७१८, (२) भुवनभानुकेवली चरित्र-टबार्थ, मु. तत्त्वहंस, मागु., ग्रं.५०००, ७८२०, ८६९९६) वि. १८०१, गद्य, मूपू., (एहीज जम्बू) २९६(+) महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, प्रा., गा. १४२, पद्य, मूपू.. (एस करेमि) भुवनेश्वरी अष्टक, सं., श्लोक ८, पद्य, जै., (ॐ ऐं ह्री) ६४०१-३ ६५८४ भोजराज प्रबन्ध, पण्डित बल्लालसेन, सं., ग्रं.३२८, वि. १६वी, (२) महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (ए हुं प+ग, (स्वस्ति ) १०२८ प्रण) ६५८४ भोजराज प्रबन्ध, गणि शुभशील, सं., पद्य, मूपू., (नाभेयाद्या) महाभारत, ऋ. वेद व्यास, सं., ग्रं.१०००००, गद्य, (नारायणं नम)३५७८() <प्रतहीन.> मङ्गलाष्टक, कालिदास, सं., श्लोक १५, पद्य, वै., (श्रीमत्पङ) (२) महाभारत तत्त्वसार, सं., पद्य, मूपू., (श्रूयतां) ८५६१, ७५५३-१८६) ८१५३(5) मध्याह्न व्याख्यानपद्धति, मु. हर्षनन्दन, सं., गद्य, मूपू., (तः (३) महाभारत तत्त्वसार-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू.. (साम्भलो धर) प्रतिष) २६९६(+) ८५६१, ८१५३(5) मनुष्यभव दुर्लभता १० दृष्टान्त, सं., गद्य, जै., (संसारे चतस) | महावीरजिन अष्टक, मु. बालचन्द्र, सं., श्लोक ८, पद्य, मूपू., ६१०५ (महानन्द शु) ६०४२-१९६६) मनुष्यभवदुर्लभता १० दृष्टान्त काव्य, प्रा.,सं.,मागु., श्लोक ११, महावीरजिन चैत्यवन्दन, सं.,प्रा., श्लोक ४, पद्य, मूपू., पद्य, जै., (चुल्लग पास) ९१६९-२ (पुरिमचरमाण) ३७९५-२ मन्त्रराजरहस्य, आ. सिंहतिलकसूरि, सं., श्लोक ६३२, ग्रं.८००, | महावीरजिन जन्मकल्याणक वर्णन, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., वि. १३२७, प+ग, मूपू., (नत्वा जिनं) ३८०७ (चितासायरं) २५४७ मन्त्राधिराज स्तोत्र, सं., श्लोक ७, पद्य, मूपू., (मन्त्राधिर) ७५४७- | महावीरजिन जन्मपत्रिका, सं., गद्य, मपू., (गतकलि संवत) g() २२२१-२(+) (२) मन्त्राधिराज स्तोत्र विधि, सं., गद्य, मूपू., (ए स्त्रोत) ७५४७- महावीरजिन पञ्चकल्याणक अधिकार, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (तेणं कालेण) २७१८ मलयासुन्दरी चरित्र, आ. जयतिलकसूरि, सं., ४प्रस्ताव, महावीरजिन पारणा स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., ग्रं.२४३०, पद्य, मूपू.. (चतुरङ्गो ) ३५९(१) (यत्पारणासु) १४८५-३०(+), ५४९०-३४, १७९१-३(१), १४८७मलयासुन्दरी चरित्र, मु. हरिराय, प्रा., गा. ८०३, पद्य, मूपू., १७६६), ७५४४-१०(६) (पणयपयकमलसु) ३११३६६) महावीरजिन वृद्धस्तवन, आ. अभयसूरि, प्रा., गा. २२, पद्य, मूपू., महादण्डक कुलक, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., गा. १९, पद्य, मूपू., (जइ जास मणे) ५४०४-२, ५४९०-६६, ५८२७-५५, ६०११-२०, (थोवागब्भय) ८४९३-२) ५४८९-५७(5) महादण्डक स्तोत्र, प्रा., गा. २०, पद्य, मूपू.. (भीमे भवम्म) ५६६३- | महावीरजिन स्तव, सं., श्लोक ६, पद्य, मूपू., (कनकाचलमिव) २(4) २६२६-५१, ५४९०-६५, ५४८९-४१७) महादेव स्तोत्र, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लोक ४४, | महावीरजिन स्तव, सं., श्लोक ९, पद्य, मूपू., (नत्वा निका) पद्य, मूपू., (प्रशान्तं) ३५३१ ६३३७-७(4) (२) महादेव स्तोत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (प्रशान्त) ३५३१ | महावीरजिन स्तव, प्रा., गा. ६, पद्य, मूपू., (जयइ नवनलिन) For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610