Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४७५ हरिभद्रसूरि, सं.,प्रा., गद्य, मूपू.. (द्वितीय अङ) ८३०
पंचमांग) ६२७७-३(+), ८४३१(4), ५१७६, ९२११-३ (२) भक्तामर स्तोत्र-कथा, मागु., गद्य, मूपू.. (पूजाज्ञानव) (३) भगवतीसूत्र-अभयदेवीय टीका का हिस्सा पुद्गलषट्त्रिंशिका ३९४४(+), ८२८०(45)
प्रकरण, प्रा., गा. ३६, पद्य, मूपू., (वुच्छं अप) ५६६३-७+), (२) भक्तामर स्तोत्र-कथा, मागु., गद्य, मूपू., (श्रीमहावीर)
६२७७-२(+), ८४८०-२(+) ४४७१(१), ४९९२, ४३१८
(४) पुद्गलषट्त्रिंशिका प्रकरण-टीका, आ. रत्नसिंहसूरि, सं., (२) भक्तामर स्तोत्र-कथा*, मागु., गद्य, मूपू., (-) ४१३३६), गद्य, मूपू., (अथ पञ्चम) ६२७७-२(+), ८४८०-२), ९२११-२ ४४२३, ४६९९०
(३) भगवतीसूत्र-अभयदेवीय टीका का हिस्सा पञ्चनिर्ग्रन्थी (२) भक्तामर स्तोत्र-कथा*, सं., गद्य, मूपू.. (-) ३१८०१६)
प्रकरण, आ. अभयदेवसूरि ,प्रा., गा. १०६, वि. ११२८, पद्य, (२) आदिजिन स्तव- भक्तामरचतुर्थपादसमस्यापूर्तिरूप, उपा. मूपू., (पन्नवण वेय) ५१७५९), १७०, ५१७४-१
समयसुन्दर गणि, सं., श्लोक ४५, पद्य, मूपू., (नमेन्द्र) (४) पंचनिन्थी प्रकरण-टबार्थ, उपा. यशोविजयजी गणि, मागु., २९०५-१(4)
ग्रं.३५५, वि. १८वी, गद्य, मूपू., (नयविजयगुरु) ५१७५९), (३) आदिजिन स्तव- भक्तामरचतुर्थपादसमस्यापूर्तिरूप-टिप्पण, १७०, ५१७४-१ सं., गद्य, मूपू., (हे जिनेन्द) २९०५-१(+)
(२) भगवतीसूत्र-विषमपद पर्याय, सं., गद्य, मूपू., (घनोदार इति) (२) भक्तामर स्तोत्र-प्राणप्रियभक्तामर स्तोत्र-चतुर्थपादपूर्तिरूप, मु. ३४७२-१३(+)
रत्नसिंह, सं., श्लोक ४५, पद्य, मूपू., (प्राणप्रिय) ७७७२(+) (२) भगवतीसूत्र-शब्दार्थ, सं.,मागु., गद्य, मूपू., (अथ विवाहपन) (२) भक्तामर स्तोत्र-मन्त्र, सं., ४८ मन्त्र, गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं) ६५२) २५९-१(+), २९००(#)
(२) भगवतीसूत्र-बीजक, मागु., गद्य, मूपू., (-) ३११४ भगवतीसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., ४१शतक, ग्रं.१५७५२, गद्य, (२) भगवतीसूत्र-हुण्डी, ऋ. धर्मसिंह, मागु., वि. १८८२, गद्य, जै.,
मूपू., (नमो अरहन्त) ९३(+), १०२), १२६(+), १४४(+), ६५२(+), (नवकार नमो) ८४९५ ६५६), ८४२१), ३५०९). ३५६८-२(+), ३६६६६), ७४४२(+). (२) भगवतीसूत्र-टबार्थ, उपा. पद्मसुन्दर, मागु., ग्रं.५२०००, वि. ७४६६(५), ९०५३(+), ८८(+), ७४४४-१(+), १०३(+#5). १००+६), १८पू, गद्य, मूपू., (श्रेयः श्र) ३६६६(4), ७४४२(+), ७४४४-१(+) ५२६०+६), २९९८(45), ६९१६(45), ७१०८+5), ७१६९(45), (२) भगवतीसूत्र-टबार्थ, गणि मेघराज, मागु., गद्य, मूपू., (देवदेवं २९९१+5), ५५६९(+5), ७०६९(45), ९५२+६), ८७, ६३४०, ६८९१, जि) १०२(+), ८४२६५), ८८+), १००+5), ५५६९(5), ७४२४ ७४४३, ७४२४, ९२९४, ६३०३,७९०४, ५२५८), ८६(१), (२) भगवतीसूत्र-टबार्थ, मु. सत्यसागर, मागु., ग्रं.१५७७५, गद्य, १४५(६), ६४९९६), २६८०(5), ७४०५(), ७७६५(६), १५३१(६), मूपू.. (सुखसंततिवृ) ८७ २०४४), २८७९(5), ६२६५(६) ।
(२) भगवतीसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (ते कालनइ) (२) भगवतीसूत्र-टीका, आ. अभयदेवसूरि , सं., ४१शतक,
७४६६(+), ९०५३(+), ७१०८(45), ९५२(45), ६८९१,७९०४, ग्रं.१८६१६, वि. ११२८, गद्य, मूपू., (सर्वज्ञमीश) १२६६+), ६४९६), ७४०५(७), ६२६५६)
९०३(+), १०३(+#5), ३६६५(5). ६४४, ६५८, १०८, ९२ (२) भगवतीसूत्र-हिस्सा', आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, मूपू., (-) (३) भगवतीसूत्र-अभयदेवीय टीका का हिस्सा
८८२८(+) परमाणुखण्डषट्त्रिंशिका प्रकरण, प्रा., गा. १५, पद्य, मूपू., (३) भगवतीसूत्र-हिस्सा की टीका, सं., गद्य, मूपू., (-) ८८२८) (खित्तोगाहण) ६२७७-१(+), ८४८०-१(+) ।
(२) भगवतीसूत्र-हिस्सा समवसरण शतक, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., (४) परमाणुखण्डषट्त्रिंशिका प्रकरण-टीका, आ. रत्नसिंहसूरि, गद्य, मूपू.. (णमो सुयदेव) ४६६९(+)
सं., गद्य, मूपू.. (यथास्थिताण) ६२७७-१(+), ८४८०-१(+). (३) भगवतीसूत्र-हिस्सा समवसरणशतक का टबार्थ, मागु., गद्य, १८२५(5), ९२११-१
मूपू., (न० नमस्कार) ४६६९(4) (३) भगवतीसूत्र-अभयदेवीय टीका का हिस्सा निगोदषट्त्रिंशिका (२) भगवतीसूत्र-यन्त्र, मागु., यंत्र, मूपू., (-) १०९०-२, १०९०-३,
प्रकरण, प्रा., गा. ३६, पद्य, मूपू., (लोगस्सेगपए) ६२७७-३), ४६६६ ८४३१(+), ५१७६
(२) भगवतीसूत्र-कथा सङ्ग्रह, प्रा., गद्य, मूपू., (-) ६४५५९) (४) भगवतीसूत्र-अभयदेवीय टीका के हिस्सा-निगोदषट्त्रिंशिका ४६६७(45)
प्रकरण की टीका, आ. रत्नसिंहसूरि, सं., गद्य, मूपू.. (अथ (२) भगवतीसूत्र-सारसङ्क्षप, मागु., गद्य, मूपू., (श्रीभगवतीस)
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