Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 545
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org: देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ मृपू. (-) १८००-८ औपदेशिक पद, मु. रूपचन्द, प्राहिं, गा. ५, पद्य, जै.. (मानो सीख) ६०१७-२ ($) औपदेशिक पद, मु. रूपचन्द, प्राहिं., गा. ४, पद्य, जै., (मोय कैसे ) २३४१-२८ औपदेशिक पद, लाल मरहटी, प्राहिं., गा. ४, पद्य, जै., ( तुम सुनो) २६७६-६(+) औपदेशिक पद, मु. विनय, प्राहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (अज हुं कहा) ९१६५-२१ औपदेशिक पद, मु. विनय, प्राहिं, गा. ५, पद्य, मूपू., ( कहा करू मन) ६०६७-२४ ९१६५-२९ औपदेशिक पद, मु. विनय, प्राहिं., गा. ५, पद्य, जै., (घोरा जूठा ) ६७६७-२६. ९१६५-३१० औपदेशिक पद, मु. विनय, प्राहिं., गा. ५, पद्य, जै., (जोगी एसा ) ६७६७-११ औपदेशिक पद, मु. विनय, प्राहिं, गा. ५. पद्य, मृपू. ( सांइ सलुणा) १९६५-२२ ($) औपदेशिक पद, मु. विनयचन्द, राज, गा. ५, पद्य, जै., (रे चेतन पो) १८००-६ औपदेशिक पद, मु. विनयचन्द, मागु., गा. १७, वि. १८६५, पद्य, जै.. (बाहिर साग) २३४१-४७ औपदेशिक पद, मु. विनयचन्द, मागु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( मन मेला नर) २३४१-३३ औपदेशिक पद, मु. विनयचन्द, प्राहिं., गा. १०, पद्य, जै., (सुकरत करले) २३४१-३७ औपदेशिक पद, मु. विनयचन्द्र, मागु., गा. १२, पद्य, मुपू., ( धन ब्राह्म) ६०५२-१७ औपदेशिक पद, मु. विनयविवेक, प्राहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., ( मगन भयो मा ) ६७६७-५४ औपदेशिक पद, कवि व्यास, प्राहिं, गा. १, पद्य, (कलियुग के ) ५५५६-३ औपदेशिक पद, उपा. समयसुन्दर गणि, मागु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( एक मनसुद्ध) ६७६७-५६ औपदेशिक पद, उपा. समयसुन्दर गणि, मागु., गा. ३, पद्य, मृपू.. (करम अचेतन) ७५५५-४९ औपदेशिक पद, उपा. समयसुन्दर गणि, मागु., गा. ४, पद्य, मृपू.. (जागि भाई) ७५५५-६० औपदेशिक पद, उपा. समयसुन्दर गणि, प्राहिं., गा. १, पद्य, मूपू., (मन चेला पद ) ६७६७-५५ औपदेशिक पद, मु. सुखसागर, राज, गा. ४, पद्य, ग्रुप्पू, (चेतन अपनो) २३४२-६८ औपदेशिक पद, मु. हर्षचन्द, प्राहिं. गा. ७, पद्य, ग्रुप्पु. ( साधो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाई) २६७६-४० औपदेशिक पद, हेमराज, प्राहिं., गा. ८, पद्य, मुपू., ( दुपटा मेरा ) ६०९५-२२० " औपदेशिक पद- ४ वर्ण प्राहि. गा. ५. पद्य, दि., (जो निहचे) रसखा औपदेशिक पद- कठोरवचनफल, प्राहिं., गा. २, पद्य, जै., (जो सर लगो) १४८९ - १६ औपदेशिक पद-कर्कशानारी, सूरज, राज, गा. ८, पद्य, जै.. (मगरी उपर) ३१३१-९ औपदेशिक पद- कावाअनित्यता, राज, गा. ७, पद्य, मृपू., (सुण बहीनी) ११६४-२ औपदेशिक पद-कायाअनित्यता, प्राहिं., गा. ७, पद्य, जै., (आव चल संग) २३४२-१९ औपदेशिक पद-काया अनित्यता, मु. जिनदास, राज., गा. २, पद्य, जै.. (अरी काया) २३४२-११५ औपदेशिक पद- काया अनित्यता, मु. जिनहर्ष, हिन्दी, गा. १, पद्य, मृ.. (काहे काया) २२२३-२ औपदेशिक पद- कायाउपवेश, मु. भूधर, प्राहिं. गा. ५. पद्य, जै, ( चरखा भया) २३४२-१२ औपदेशिक पद-कायामाजन, कबीर, मागु., गा. ४, पद्य, वै., (भया रे काय ) ६०५२-५९ (S) औपदेशिक पद-क्रोधोपरि, मागु., पद्य, जै., (हृदय न राख) ३१२९-५३* औपदेशिक पद-क्रोधोपरि, मु. नवल, राज., गा. ४, पद्य, जै., (भूलि हु) २३४२-६४ औपदेशिक पद-जगत अस्थिरता, मागु., गा. ११, पद्य, मूपू., (जाय छे जगत) ३१२९-२५ औपदेशिक पद-जगत अस्थिरता, मु. गोपाल, प्राहिं., गा. २५, For Private And Personal Use Only " ५२५ " पद्य, मूपू., ( एह परमादी) २३४२-४४ औपदेशिक पद - जीवकाया, मु. विनय, प्राहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (सुनि सुहाग ) ९१६५ साली ($) औपदेशिक पद जूठीप्रीत, मु. जिनतुलसी, प्राहिं., गा. ५, पद्य, जै.. (देसजो विरा) ६०६४ पदेशिक पद-ज्ञानदृष्टि उपा. यशोविजयजी गणि, प्राहिं, गा. ६. पद्य, मृपू. (चेतन ज्ञान) ६७६७-१ ९१६५-१ औपदेशिक पद- धर्मकरणी, प्राहिं, गा. २, पद्य, जै.. (अब आछो दाव) २३४२-१०३ औपदेशिक पद- धीरज, उदेराज, राज., गा. १, पद्य, जै., ( हीमत राख) १४८९-१९ औपदेशिक पद प्रभुभजन, प्राहिं. गा. ४, पद्य, जै.. ( मगन रहो रे) २३४२-७२ औपदेशिक पद-बुढ़ापा, दुर्लभ, मागु, गा. ६, पद्य, मृपू., (घडपण "

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