Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org:
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
($)
(२) विचारसार प्रकरण- बालावबोध गु. देवचन्द्र, मागु, ग्रे.२१२५ गद्य, मूपू., ( प्रणम्य) ७६८, ४३२ विचारामृतसार सङ्ग्रह, गणि जिनहर्ष, सं. ग्रं. ३०००, वि. १५०२, पद्य मृपू.. (श्रीमुर्ग) ७५४) ४८३२००
"
"
(२) विचारामृतसार सङ्ग्रह-टबार्थ, मागु., गद्य, मुपू., ( प्रणाम माह) ४८३२०)
विजयचन्द्रकेवली चरित्र, मु. चन्द्रप्रभ महत्तर प्रा. वि. ११२७, पद्य, मूपू., (सयलसुरासुर) ५८६१
विजयप्रभसूरि स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मृपु. ( नयविभूषणपा) ६४६०-१६
विजयप्रभसूरि स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूप्पू., (विजयप्रभसू) ६४६०-१७
विजयप्रभसूरि स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मृपू. (श्रीवर्द्ध) ६४६०
१५
विजयप्रशस्ति महाकाव्य, गणि हेमविजय, सं., सर्ग २१, पद्य, मृपू. (श्रेयांसि ) ६२८८ ३०९
(२) विजयप्रशस्ति महाकाव्य-विजप्रदीपिका वृत्ति, मु. गुणविजय, सं., ग्रं.१००००, वि. १६८८, गद्य, मूपू., (सः नाभेः) ३०९ विजयरत्नसूरि स्तुति, सं., श्लोक ४, पत्र, मृपू.. ( नृपतिनामिक)
६०४१-२४
विजयरत्नसूरि स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (प्रथम तीर) ६४६०-१९
"
विजयरत्नसूरि स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मृपू. (विजयरत्नगण) ६४६०-१८
विदग्धमुखमण्डन काव्य, आ. धर्मदाससूरि, सं., ४ परिच्छेद, श्लोक २७६, पद्य, बौ., (सिद्धौषधान) ४८३ (+), ९१०४(+), ५७९२, ६८८४($)
(२) विदग्धमुखमण्डन काव्य-टीका, दुर्गूक, सं., गद्य, जै., (विघ्नौघद्व) ३६७२
(२) विदग्धमुखमण्डन काव्य-टीका, मु. विनवरत्न, सं. गद्य, भूप.. (-) ६८८४
(२) विदग्धमुखमण्डन काव्य-वृत्ति, सं., गद्य, गुप्.. (स्मृत्वा) ४८३(+)
(२) विदग्धमुखमण्डन काव्य- अवचूरि, सं., गद्य, ( अथादी धर्म) Prod
विद्याविलास कथानक पुण्यविषये, सं., गद्य, जै., (ऐश्वर्यराज) (१९७३)
विनय कुलक, प्रा., गा. १३, पद्य, मुपू., (विनयो जिणस) ५७२७५(+), ३१३४-२
(२) विनय कुलक-टवार्थ, मागु, गद्य, मृपू. (विनयते जिन)
३१३४-२
विपाकसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., २श्रुत. / २०अध्य. ग्रं. १२५०, गद्य, मृपू. (तेनं काले) १२२३ १३४ प १७५८(+), २८८१(+), ४२३२(+), ५२४५-१(+), ५४५६(+), ५४९५(+), ५५०१(+), ८४३२(+), ८६८७ (+), ४१५३(+), ३५७० (+#$), १४३(+$), ६५७२(+$), १०४, २०४६, ४४०५, ५२९०, ८८९०, ९२१९. ६८८२, ३०७८ ८७२८ ६८९३
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
""
(२) विपाकसूत्र- टीका, आ. अभयदेवसूरि, सं. ग्रं. ९००, गद्य, मूपू., (नत्वा श्री) १४३ (+), १०७, ११०९
(२) विपाकसूत्र-शब्दार्थ, मागु., गद्य, मृपू. (विपचन विपा) ५२४५(+)
(२) विपाकसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मुपू., (अथ विपाकश) २८८५) ५४९५ण ५५०११) ८४३२१ ८६८७१) १७५८) ६५७२ ४४०५ ९२१९, ३०७८ ८७२८
(२) विपाकसूत्र-हिस्सा सुखविपाक द्वितीयश्रुतस्कन्ध, आ. सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय १०, गद्य, मृपू.. ( तेणं कालेण) ५४९१ (+$) १५१७७
"
"
४८५
(३) विपाकसूत्र-हिस्सा सुखविपाकद्वितीयश्रुतस्कन्ध का टबार्थ, मागु.. गद्य, मुपू., (ते उत्सर्प) १५७७
"
विमानपङ्क्ति विधि, मु. विमलकीर्ति, सं., श्लोक ४१, पद्य, दि... ( श्रीमतो वृ) ६००२-९ (+)
विवाहपडल, सं., श्लोक १६०, पद्य, ( जम्भाराति) ४२६१, ६४३८-१ (२) विवाहपडल-बालावबोध, मु. सोमसुन्दरसूरि-शिष्य, मागु..
गद्य, मूपू., (प्रणम्य शि) ४२६१
"
विविक्तनाममाला, उपा. भानुचन्द्र, स., पद्य, भूपू (-) ७४४० विविधतप विधि सङ्ग्रह, सं., मागु., गद्य, मृपू., (अथ पिस्ताल)
७९३८
विवेकमञ्जरी, सं., पद्य, भूपू ( भव्यांगोरू) ४०७६
For Private And Personal Use Only
($)
(२) विवेकमञ्जरी-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., ( श्रीमत्पार) ४०७६ विवेकमञ्जरी, श्रा. आसड कवि, प्रा., गा. १४४, वि. १२४८, पद्य, मूपू., (सिद्धिपुरस) ५८६५, ६४४७/६
विवेकविलास, आ जिनदत्तसूरि, सं. १२उल्लास, पद्य, मृपू..
(शाश्वतानन) ५५३८०० ४६८, ९११
"
(२) विवेकविलास- टीका, सं. गद्य, मृपू. (-) ५५३टाक्या (२) विवेकविलास- बालावबोध, मागु, गद्य, भूपू.. (ते को एक )
"
९११ विशेषणवती, आ. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, प्रा., गा. ३१७, ग्रं. ३८०, प+ग, मृपू. (उस्सेहंगुल) २८१६ विशेषसत्तात्रिभङ्गी, मु. नेमिचन्दजिन, प्रा., गा. ३७, पद्य, दि., (णमिण वह) ५४५३५

Page Navigation
1 ... 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610