Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 514
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir २२५३(१) ४९४ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ ५५४७-१, ६०२७-४ सरस्वतीसूत्र, सं., , (--)-<प्रतहीन.> (२) सम्यक्त्वसप्ततिका-टीका, आ. सङ्घतिलकसूरि, सं., १२ (२) सारस्वत व्याकरण, आ. अनुभूतिस्वरूप, सं., गद्य, (प्रणम्य अधिकार, ग्रं.७७११, वि. १४२२, प+ग, मूपू., (सच्चामीकरब) | पर) ९२८०१), २८४९(45), ४९४६-१, ७४६(६), ५२५३(७) ४७४३(45) (३) सारस्वत व्याकरण-दीपिका टीका, आ. चन्द्रकीर्तिसूरि, सं., (२) सम्यक्त्वसप्ततिका-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (सम्यक निर) ३वृत्ति, ग्रं.७५००, वि. १६२३, गद्य, मूपू., (नमोस्तु सर) ५८८९(+), ७८६५), ५०९७(45) ३५०४(+), ६५१३(१), ३६६४+#), ९२८०), ३५६६+६), २८४९(+), सम्यक्त्व स्वरूप, सं., पद्य, मूपू., (प्रणम्य पर) ६०४५ ४८८८(45). ५०७, ७४६(), ५२५३(5) सम्यक्त्व स्वरूप, मागु.,प्रा., गद्य, मूपू., (जिम सम्यक) २३९२१), | (३) सारस्वत व्याकरण-सारस्वतप्रदीप टीका, मु. सहजकीर्ति, ७८२५(क) सं., ग्रं.२०००, वि. १७वी, गद्य, मूपू., (प्रणम्य पा) ३९३८(+) सरस्वती जापमन्त्र सह विधि, सं.,मागु., गद्य, मपू., (ॐ ह्रीं) (३) सारस्वत व्याकरण-धातुपाठ, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., वि. ७८२१-२ १६६३, पद्य, मूपू.. (श्रीसर्वज) २२५३) सरस्वतीदेवी २१ नाम स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, वै., (वाग्देवी) | (४) सारस्वत व्याकरण-धातुपाठ की स्वोपज्ञ धातुतरङ्गिणी ५४८९-३४) टीका, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., गद्य, मूपू., (नमस्कृत्य) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक १३, पद्य, वै., (ॐ अस्य) ६०८९-१० (२) सिद्धान्तचन्द्रिका, आ. रामाश्रम, सं., गद्य, (नमस्कृत्य) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक १२, पद्य, मूपू., (ॐ श्रीअर) ४९२). २५९०(+), ४३६९(+), १९१२). २४६६(+). २९८२(4) ६०८९-६ (३) सिद्धान्तचन्द्रिका-सुबोधिनी वृत्ति, गणि सदानन्द, सं., वि. सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ९, पद्य, (नमामि भारत) ६०८९- १७९९, गद्य, मूपू., (पुराणपुरुष) ४९२), २५९००.४३६९(१), ५४०३(+),७९०५, १९१२), २४६६०,२९८२, ५४०६, सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक १०, पद्य, वै., (नमोस्तु शा) १३४०-५ सरस्वत्यष्टक, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लोक ९, पद्य, मूपू., (ॐ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ८, पद्य, वै., (भक्तिप्रह) ६०८९-८ नमस्त्र) ५८२७-७५, ६०८९-१, ५४८९-६०(5) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ९, पद्य, वै., (राजते श्री) ५८२७- सर्वज्ञ स्तव, सं., श्लोक १३, पद्य, मूपू., (प्रातरेव) ६०४२-२८() ६५, ५४८९-६२(5) सर्वज्ञ स्तवाष्टक, सं., श्लोक ८, पद्य, मूपू., (कृतार्थोपि) ६०४२सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ७, पद्य, वै., (वाग्वादिनी) २७(5) १३४०-६, ६०८९-३ सर्वज्ञ स्तोत्र, आ. सोमतिलकसूरि, सं., श्लोक १०, पद्य, मूपू., सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक १५, पद्य, (विपुलसौक्ष) ५८९९- (शुभभावानतः) ९७५-१ (२) सर्वज्ञ स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (सह दानवैश) ९७५-१ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ९, पद्य, मूपू., (व्याप्तानन) सर्वार्थसिद्धि कथा, सं., गद्य, दि., (त्रैलोक्यत) ६००२-२१) ६०८९-७, ६४०१-२ सहस्रकूट पूजा, मु. सुमति, सं.,मागु., पद्य, मूपू., (श्रीजिनवर) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ८, पद्य, वै., (सरस्वति मह) ५८०८-२० ६०८९-४ सागारधर्मामृत, श्रा. आशाधर भटट, सं., अध्याय ८, वि. १२९६, सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ६, पद्य, वै., (सरस्वती नम) पद्य, दि., (नत्वाह) १७७) ६०८९-२ साढसतीशनिश्चर मन्त्र, सं., गद्य, (ॐ षां षीं) ५८२७-७४ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ९, पद्य, मूपू., (सर्वारिष्ट) सातवाहननृप कथा, गणि शुभशील, सं., श्लोक १७२३, ग्रं.१८००, २६२६-५७), ५४९०-५३ पद्य, मूपू., (श्रीआदिनाथ) ४७४९ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, आ. बप्पभट्टसूरि, सं., श्लोक १२, पद्य, साधारणजिन अष्टक, मु. कनकप्रभविजय, सं., श्लोक ८, पद्य, मुपू., (कदाकुण्डलि) ६०८९-९ मूपू., (जयति जङ्गम) ६०४२-१४(६), ५६९९-६ (-) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, मु. मलयकीर्तिविजय, सं., श्लोक ९, पद्य, साधारणजिन अष्टक, आ. सोमप्रभसूरि, सं., श्लोक ९, पद्य, मूपू., (जलधिनन्दनच) ५४८९-६१(६) मूपू., (वीतरागविगत) ६०४२-१५७) ६८२९६) For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610