Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 486
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४६६ ३४९८-२(5) ११) कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ पट्टावली खरतरगच्छीय, सं.,मागु., गद्य, मूपू., (हिवइ गुरा) ८३१२(+), ५६३० १९९७६) (२) पर्यन्ताराधना-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (नमस्कार कर) पट्टावली खरतरगच्छीय, वा. क्षमाकल्याण, सं., वि. १८३०, १३८२), ३५६४+), ३५७५-१(+), ५१३८(+), ४१(+), २७६१-१(+), गद्य, मूपू., (प्रणिपत्य) १६१४(+), ७८०१(+), १९९६(१), २७६९, ४२-१, १८७१, ५०८१, ५१५८, ८०६५, ८३६४, ८७७५, ९०८४ ३७०१, ६५८८६६) (२) पर्यन्ताराधना-सक्षेप, प्रा., गा. ४०, पद्य, मूपू., (नमिउण पट्टावली तपागच्छीय, सं., गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्ध) ७८५८(4) भणइ) ३१८५, ५९३१-१ पट्टावली तपागच्छीय, सं.,मागु., गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्ध) ३७०४-३, | (३) पर्यन्ताराधना-सक्षेप का बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (पहिली पहिक) ३१८५, ५९३१-१ पट्टावली प्राचीन, प्रा., गा. ३, पद्य, जै., (सिरि वीर) १९९१-२) | पर्याप्तिविचार गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, स्पू., (आहार शरीर) पदस्थ ध्यान, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (पणतीस सोल) ७५४७ ३५७२-३ पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान, मु. नन्दलाल, सं., श्लोक ६२४, वि. पदार्थ सङ्ग्रह, प्रा.,मागु., गद्य, जै.. (--) ८०७५०० १७८९, पद्य, जै.. (स्मृत्वा) २६६१, ३२८०, ३४७०, ५८०३, पद्मपुराण, ऋ. वेद व्यास, सं., पद्य, (शृणु सूत)-<प्रतहीन> ६०६१-१, २९८०, ८५८३, १८१४-१(१) (२) पद्मपुराण-पद्यानुवाद, मागु., पद्य, मूपू.. (आदिनाथ वन) (२) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., ८२९(5) (श्रीपार्श) ५३९९ (२) पद्मपुराण-महालक्ष्मी स्तोत्र, सं., श्लोक २७, पद्य, वै., (जय | (२) अष्टाह्निका महोत्सव-टबार्थ, राज., गद्य, मूपू., (श्रीपार्श) त्वं पद) ६०७७-३ ५८०३ पद्मावतीदेवी छन्द, मु. हर्षसागर, सं.,मागु., गा. १०, पद्य, मूपू.. (२) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं) २८२-४(६) (समरीने श्र) ३२८०, ८५८३ पद्मावतीदेवी स्तव, सं., श्लोक २७, पद्य, मूपू., (श्रीमद्गीर) (२) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान-टबार्थ', मागु., गद्य, पू., (स्मृ० २५९-७(+), ६२७९-१४(+), ४२९६-१+६) श्री) ३४७० पद्मावतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लोक ११, पद्य, मूपू., (२) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान-टबार्थ, गणि ऋद्धिविजय, मागु., (धरणयक्षवलक) २५९-६(+) गद्य, मूपू., (स्मृत्वा) ६०६१-१ परमाणुपरिमाण गाथा, प्रा., गा. ७, पद्य, जै., (परमाणुउमित) | (२) व्याख्यान कथा सङ्ग्रह-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (समरीने १९७-४(+) श्र) २६६१, २९८०, १८१४-१(4) परमात्मप्रकाश, मु. योगीन्द्रदेव, प्रा., गा. ३४५, वि. १२वी, पद्य, | पल्योपम विधान, सं., श्लोक ८१, पद्य, दि., (वृषभं वृभं) ६००२दि., (जे जाया झा) ३१९६ ४९) परमानन्द स्तोत्र, उपा. यशोविजयजी गणि, सं., श्लोक २५, पद्य, पाक्षिक स्तुति-स्नातस्या, आ. बालचन्द्रसूरि, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू.. (परमानन्दसम) ८९६१, ४२२६-११) मूपू., (स्नातस्याप) १७९२-९(१), ३३६७-२६१), १४८५-३८), (२) परमानन्द स्तोत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (परमात्माने) ६०९४-२(45), १२६७-४, १८०३-९, ५३६५-१, ६०८८-२०, ८९६१ ७५४१-५, २३३६-१३, ८७८०-२, १७९१-११(१), ६०४१-८(5), पर्यन्ताराधना, प्रा.,मागु., प+ग, मूपू., (प्रथम इरिय) ५२२९ ६०५१-४(६), ९१६६-३(७), ६४७८-५७), २८४५-७) पर्यन्ताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., गा. ७०, पद्य, मूपू., (नमिउण (२) पाक्षिक स्तुति-टीका, सं., गद्य, मूपू., (स श्रीवर्द) ८७८०-२ भणइ) १३८२(+), ३५६४(+), ३५७५-१(+), ४२३५९), ५१३८(+), (२) पाक्षिक स्तुति-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (न्हवराव्यौ) ६०९४८३१२(+), ४१(+), २७६१-१(4), ८८४५६+६), ४२-१, १८७१, ५०८१, ५१५८, ७५६७-२, ८०६५, ८३६४, ८७७५, ९०८४, (२) पाक्षिक स्तुति-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (स्नान कराव) ५६३०, ११८०६) ९१६६-३७) (२) पर्यन्ताराधना-अवचूरि, गणि विनयराज, सं., गद्य, मूपू., पाण्डव चरित्र, आ. देवप्रभसूरि मलधारी, सं., सर्ग १८, ग्रं.८०००, (कश्चिद् गु) ४२३५) पद्य, मूपू., (श्रियं विश) २२९६(5) (२) पर्यन्ताराधना-बालावबोध', मागु., गद्य, मूपू., (नमीनइ नमस) | पाण्डव चरित्र, गणि देवविजय, सं., सर्ग १८, ग्रं.१००००, वि. For Private And Personal Use Only

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